गुरुवार, 26 मई 2011

दरबार तेरे आ गये..










दरबार तेरे आ गये..

मै अति दीन अनाथ हु, तुम हो दीनो के नाथ...
तेरी शरण मे आ गयो, रखियो सिर पर हाथ..

बाला हम दरबार तेरे आ गए..
इस तेरी दुनिया से हम घबरा गए..

कब से बेठे है तेरे दरबार मे.. मर रहे है हम तेरे ही प्यार मे..
देखकर लीला तेरी चकरा गए..
इस तेरी दुनिया...


आंसुओ की है झड़ी अब तो लगी.. प्यास दर्शन की मेरे मन मे लगी..
तर गए जो दर्श तेरा पा गए..
इस तेरी दुनिया...


कष्ट दुखियो के मिटाते आप हो.. हम बुलाये क्यों ना आते आप हो..
कर्म मेरा देखकर ठुकरा गए..
इस तेरी दुनिया...

अंजनी के लाल अब तो आइये.. अपने प्यारे भगत को अपनाइए..
फूल श्रद्धा के सभी मुरझा गए..
इस तेरी दुनिया...



Sanjay Mehta, Ludhiana


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