मंगलवार, 24 मई 2011

भगवान तुम्हारे चरणों मे.









भगवान तुम्हारे चरणों मे..






भगवान तुम्हारे चरणों मे.., मै तुम्हे रिझाने आया हु..
वाणी मे तनिक मिठास नहीं, पर विनय सुनाने आया हु.
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प्रभु का चरणामृत लेने को, है पास मेरे कोई पात्र नहीं..
आँखों के दोनों प्याले मे.. कुछ भीख मांगने आया हु..
भगवान तुम्हारे चरणों मे..

तुम से लेकर क्या भेंट करू.. भगवान आपके चरणों मे..
मै भिक्षुक हु.. तुम दाता हु... सम्बन्ध बताने आया हु..
भगवान तुम्हारे चरणों मे..

सेवा को कोई वास्तु नहीं.. फिर भी मेरा साहस देखो..
रो रोकर आज आंसुओ का, मै हार चढाने आया हु...
भगवान तुम्हारे चरणों मे..

संजय मेहता
जय माता दी जी


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