बुधवार, 31 अगस्त 2011

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

हे महाकाली , खप्पर वाली : He Mahakali Khhper Wali.. : Sanjay Mehta Ludhiana














हे महाकाली , खप्पर वाली
तुझ को कोटि प्रणाम, धन्य हो गये. .भगत जिन्होंने लीया तुम्हारा नाम

एक समय जब छिड़ा भयानक,
देवा-सुर -संग्राम
तब देवो ने तुझे पुकारा,
गूंजा तेरा नाम
अम्बिके गूंजा तेरा नाम...

हे अम्बिके.. , जगदम्बिके ,हे खप्पर वाली...
प्रगट हुई जगदम्बिके चंडी का अवतार...

चामुंडा के रूप मे करने लगी प्रहार
विक्रल्काल के धधक गई..
दानव असुरो के अंगो पर
लेकर खड्ग हाथ चौ - तरफ बड़ी..
माँ मुण्ड गिरा दी मुंडो पर


त्राहि - त्राहि मच गई...
और असुरो का मंडल छलकाया
तब एक महा दानव,
रक्त बीज बनके आया

उसका जब माँ ने सिर काटा
क्क्शोनित(रक्त) के जितने बिंदु गिरे
उतने ही प्रकटे रक्त बीज
उतने ही दानव और गिरे..

यह देख समस्या चंडी ने..
काली माँ का आह्वान किया..
उस रक्तबीज की मृत्यु का
आखिर बस यही निधान किया..

हे अम्बिके, जगदम्बिके.. हे खप्पर वाली
हे माता महाकाली... हे माता महाकाली

मुंडो की माला गले पहन
वर्द्ध हाथो का श्रृंगार कियो
कर मे त्रिशूल क्रपान लिए
काली ने शूल प्रहार किये
इस रक्तबीज के मस्तक के
क्ष्होनित का लप - लप पान किया
तब लाल लहू को चाट गई
नहीं एक बिंदु भी गिरने दिया..


जब रक्तबीज की लाश गिरी
असुरो मे भगदड़ मची घोर
काली माता के विकराली रूप
त्राहि त्राहि का मचा शोर ..

धरती डोली अम्बर कांपा
कैलाश हिला थर थर के
टूटी समाधि शिव शंकर की
लहराई त्रिशूल नयन भड़के..
आ गये शंकर समझाने को
पे भंग तरंग नयन मीटे
ठोकर कहा कर आ गिरे स्वयम
भोले काली के पग नीचे

काली की जैसे दृष्टि पड़ी
लम्बी जिह्वा निकल पड़ी..
पग नीचे शंकर देख
देख वो हिल ना सकी रह गई खड़ी
हे अम्बिके , जगदम्बिके, हे खप्पर वाली,
हे माता महाकाली..
हे माता महाकाली..

कोई कहे तुझे चामुंडा..
कोई कहे तुझे काली ..
कोई कहे तुझ को जगदम्बा..
अम्बा शक्तिशाली..
इस अनंत मे दिग्द्वंत मे..
तेरा ही यश गाया..
सभी देविओ का है देवी
तुझ मे रूप समाया..
हे अम्बिके , जगदम्बिके, हे खप्पर वाली,
हे माता महाकाली..
हे माता महाकाली..


संजय मेहता
लुधिआना
जय माता दी जी








गुरुवार, 25 अगस्त 2011

दुर्गा स्तुति चौथा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti fourth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana

दुर्गा स्तुति चमन जी







चौथा अध्याय

आदि शक्ति ने जब किया महिषासुर का नास
सभी देवता आ गये तब माता के पास
मुख प्रसन्न से माता के चरणों मे सीस झुकाए..
करने लगे वह स्तुति मीठे बैन सुनाये
हम तेरे ही गुण गाते है..
चरणों मे सीस झुकाते है
तेरे जय कार मनाते है..
जय जय अम्बे जय जगदम्बे
जय दुर्गा आदि भवानी की..
जय जय शक्ति महारानी की..
जय अभयदान वरदानी की..
जय अष्टभुजी कल्याणी की

तुम महा तेज शक्तिशाली हो
तुम ही अदभुत बलवाली हो..
तुम ही रण चंडी तुम ही महाकाली हो
तुम दासों की रखवाली हो.. हम तेरे ही गुण गाते है

तुम दुर्गा बन कर तारती हो..
चंडी बन दुष्ट संहारती हो..
काली रण मे ललकारती हो
शक्ति तुम बिगड़ी सवांरती हो..
हम तेरे ही गुण गाते है..

हर दिल मे वास तुम्हारा है..
तेरा ही जगत पसारा है..
तुमने ही अपनी शक्ति से..
बलवान देत्यो को मारा है..
हम तेरे ही गुण गाते है..

ब्रह्मा विष्णु महादेव बड़े..
तेरे दर पर कर जोड़ खड़े..
वर पाने को चरणों मे पड़े..
शक्ति पा जा दैत्यों से लड़े
हम तेरे ही गुण गाते है


हर विद्या का है ज्ञान तुझे
अपनी शक्ति पर मान तुझे
हर एक की है पहचान तुझे
हर दास का माता ध्यान तुझे..
हम तेरे ही गुण गाते है

ब्रह्मा जब दर पर आते है..
वेदों का पाठ सुनाते है..
विष्णु जी चवर झुलाते है..
शिव शम्भू नाद बजाते है..
हम तेरे ही गुण गाते है..

तू भद्रकाली है कहलाई..
तू पार्वती बन कर आई..
दुनिया के पालन करने को..
तू आदि शक्ति है महामाई--
हम तेरे ही गुण गाते है..

निर्धन के तू भण्डार भरे..
तू पतितो का उद्धार करे..
तू अपनी भगति दे करके
भव सागर से भी पार करे
हम तेरे ही गुण गाते है..

है त्रिलोकी मे वास तेरा
हर जीव है मैया दास तेरा
गुण गाता जमी आकाश तेरा
हमको भी है विश्वास तेरा-
हम तेरे ही गुण गाते है..


दुनिया के कष्ट मिटा माता
हर एक की आस पूजा माता
हम और नहीं कुछ चाहते है
बस अपना दास बना माता -
हम तेरे ही गुण गाते है..


तू दया करे तो मान भी हो
दुनिया के कुछ पहचान भी हो
भगति से पैदा ज्ञान भी हो
तू कृपा करे कल्याण भी हो..
हम तेरे ही गुण गाते है..


देवी ने प्रेम - पुकार करी
माँ अम्बे झट प्रसन्न हुई..
दर्शन देकर जग की जननी
तब मधुर वाणी से कहने लगी..
मांगो वरदान जो मन भये..
देवो ने कहा तब हर्षाये..
जब भी हम प्रेम से याद करे..
माँ देना दर्शन दिखलाये..
हम तेरे ही गुण गाते है..


तब भद्रकाली यह भोल उठी
तुम याद करोगे मुझे जब ही..
मै संकट दूर करू तब ही..
तब 'चमन' ख़ुशी हो सब ने कहा..
जय जग्तारनी भवानी माँ..
हम तेरे ही गुण गाते है..


वेदों ने पार ना पाया है..
कैसे शक्ति महामाया है..
लिखते लिखते यह दुर्गा पाठ
मेरा भी मन हर्षाया है
नादान 'चमन' पे दया करो..
शारदा माता सिर हाथ धरो
जो पाठ प्रेम से पढ़े जाये
मुह माँगा माता वर पाए..
सुख सम्पति उसके घर आये
हर समय तुम्हारे गुण गाये..
उसके दुःख दर्द मिटा देना
दर्शन अपना दिखला देना
हम तेरे ही गुण गाते है..


जैकार स्त्रोत यह पढ़े जो मन चित लाये..
भगवती माता उसके सब देंगी कष्ट मिटाए..
माता के मंदिर मे जा सात बार पढ़े जोए
शक्ति के वरदान से सिद्ध कामना होए
'चमन' निरंतर जो पढ़े एक ही बार
सदा भावी सुख दे भारती रहे भंडार
इस स्त्रोत को प्रेम से जो भी पढ़े सुनाये
हर संकट मे भगवती होवे आन शये..
मान इज्जत सुख सम्पति मिले 'चमन' भरपुर
दुर्गा पाठी से कभी रहे ना मैया दूर
'चमन' की रक्षा सदा ही करो जगत महारानी
जगदम्बे महाकालिका चंडी आदि भवानी



Sanjay मेहता




शनिवार, 20 अगस्त 2011

मेनू पार लगा दे माँ... : Menu Paar Lga De Maa : Sanjay Mehta Ludhiana












मेनू पार लगा दे माँ... मै ता मिनता तेरिया करदी...-2
मेरी आस पूजा दे माँ.. मै ता नोकर तेरे दर दी..

एक सच्चा तेरा द्वारा ऐ .. भगता नु लगदा प्यारा ऐ -2
डुबदे नु मिलदे किनारा ऐ .. नाले खाली झोलिय भरदी
मेनू पार लगा दे माँ... मै ता मिंता तेरिया करदी...
मेरी आस पूजा दे माँ.. मै ता नोकर तेरे दर दी..


दुनिया तो शान निराली माँ.. तेनु कहंदे शेरावाली माँ..2
करे सबना दी रखवाली माँ.. बच्चिय दे दुखड़े हरदी
मेनू पार लगा दे माँ... मै ता मिंता तेरिया करदी...
मेरी आस पूजा दे माँ.. मै ता नोकर तेरे दर दी..


ध्यानु ने तेनु ध्याया सी.. घोड़े दा सीस मिलाया सी -२
तू उस दा मान वादाया सी , अड़ भन्नी राजे अकबर दी
मेनू पार लगा दे माँ... मै ता मिंता तेरिया करदी...
मेरी आस पूजा दे माँ.. मै ता नोकर तेरे दर दी..

जे नजर मैहर दी हो जावे.. दस माये तेरा की जावे -२
संजय मेहता माँ तेनु ध्यावे.. तू सब दे मेहरा करदी
मेनू पार लगा दे माँ... मै ता मिंता तेरिया करदी...
मेरी आस पूजा दे माँ.. मै ता नोकर तेरे दर दी..

संजय मेहता
जय माता दी जी






मंगलवार, 16 अगस्त 2011

जय बोलो हनुमान की : Jai Bolo Hanuman Ki: Sanjay Mehta Ludhiana













जय बोलो हनुमान की

कथा सुनाऊ सबको मै पवन पुत्र बलवान की..
जय बोलो हनुमान की.. जय बोलो ...

बालपन मे बजरंगी ने अपना बल दिखलाया..
हुआ अँधेरा पृथ्वी पर तब इंद्र सामने आया..
दे वरदान तब देवराज ने सूरज को छुड्वाया..
सभी देवता करे बड़ाई.. बजरंगी बलवान की
जय बोलो हनुमान की

मात सिया की सुधि लेने अशोक वाटिका आये..
भूख लगी जब बाग़ उजड़े तोड़ तोड़ फल खाए..
खबर लगी रावण को तो पकड़ लीया बुलवाए
पूंछ मे जिस दम आग लगाई लंका दी जलाये
मात सिया को दी अंगूठी यह निशानी राम की..
जय बोलो हनुमान की

पाताल पूरी मे मकरध्वज ने आकर करी लड़ाई..
अहिरावन को मरूँगा तू हट रे बलदाई..
पेड़ के पीछे छिपकर के फिर खाए माल मिठाई..
अहिरावन को मार के फिर देवी को बलि चढाई..
राम लखन को संग में लाये खेल के बाजी जान की..
जय बोलो हनुमान की


और सुनो फिर गद्धी पर बैठे इक दिन श्री राम
मोती की माला पहनाई मात सिया ने आन
इक - इक मोती तोड़ - तोड़ के फेंक दिए हनुमान
बोले जिसमे राम नहीं उससे मेरा क्या काम
चीर दिखाया सीना है बैठे रघुवीर जानकी..
जय बोलो हनुमान की

संजय मेहता
जय माता दी जी




शनिवार, 6 अगस्त 2011

भजन करो रघुवीर का: Bhajan Karo Raguvir Ka.. : Sanjay Mehta Ludhiana











पल ही पल मे क्या हो जाए, पता नहीं तकदीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
दशरथ के घर जय जय कार, सखिया गावे मंगलाचार
रामचंदर बनवास सिधाया, बाना किया था फ़कीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
अर्जुन ऐसा वीर था, लक्ष्य भेदी तीर था
द्रोपदी का चीर हरया जब, जोर चला नहीं तीर का
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
यूँ शिशुपालो बोलो वाणी , जाय परनुला रुकमनी रानी
कुन्नापुरी मे भूप ख्प्या वहां, जोर चला ना रणधीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
इश्वर की निराली शान, मत कर बन्दे तू अभिमान
कभी तो रुखा सुखा देवे, कभी तो भोजन खीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
गोविन्द राम हरि गुण गावे, सब गुणीजन को शीश नवावे ..
चेतन होकर रहना मुसाफिर, सुमिरन करो रघुवीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
संजय मेहता
जय माता दी जी




शुक्रवार, 5 अगस्त 2011