रविवार, 1 मई 2011

श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव







श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव -२
जब जब होती धर्म की हानि, भगतो ने दी दुहाई..
तब तब प्रभु ने अपने जनों की पहुच के लाज बचाई


भरी सभा मे द्रोपदी पुकारे... दसो दिशाए सुनी थी..
दुशासन के हाथ मे आँचल , अबला नारी दीन बनी थी.. हे श्याम घनश्याम
लाज बचाने म्हारे श्याम ने, साडी की छोर बड़ाई..
तब तब प्रभु ने अपने जनों की पहुच के लाज बचाई
श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव -२



इक गजराज पे संकट आया, मगर से हुई लड़ाई..
मगरमच्छ ने गज को पकड़ा, गज ने पुकार लगाई
नारायण , नारायण, नारायण , नारायण
छोड़ गरुड़ आसन प्रभु दोड़े, भगत की जान बचाई
तब तब प्रभु ने अपने जनों की पहुच के लाज बचाई
श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव -२


प्रभु से अधिक प्रभु नाम की महिमा..
इस जग ने तब है जाना..
पापी अजामिल अंत समय मे नारायण नाम पुकारा..
नारायण.. नारायण.. नारायण... नारायण..
जीवन भर के पापी की प्रभु ने
आवागमन मिटाई..
तब तब प्रभु ने अपने जनों की, पहुच के लाज बचाई
श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव -२
जब जब होती धर्म की हानि, भगतो ने दी दुहाई..
तब तब प्रभु ने अपने जनों की, पहुच के लाज बचाई
श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
श्री कृष्ण गोबिंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव

बोलो कृष्ण भगवान की जय..
बोलो राधा रानी की जय..
बोलो मेरी माँ राज रानी की जय..
जय माता दी जी..




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