मंगलवार, 17 मई 2011

चरण वंदना..








चरण वंदना...

मात-पिता से बढकर जग मे, है कोई भगवान नहीं
मात-पिता की सेवा से बढकर, जग मे कुछ काम नहीं...
मात=पिता को जो दुःख देगा, वो पाता सम्मान नहीं..
मात-पिता का करे अनादर, पापी है इंसान नहीं..

कोन देवता पहले पूजा, जाए सूझी बात नई..
परिक्रमा ब्रह्मांड की जो , कर आये पहले पूजे वही
सभी देवता दोड पड़े पर, गणपति वाहन पर ना चडे ..
मात-पिता की परिक्रमा कर, सब से पहले हुए खड़े

हुए विजेता घोषित सब से, पहले पूजते सदा वही..
मात-पिता है पूजनीय, इससे बढकर कुछ ज्ञान नहीं..
जो छूता है पात पिता के, नित्य चरण सुख पता है
मिलती है आशीषे उसको, भवसागर तर जाता है..

मात-पिता का जो करता, उपहास चैन ना उसे मिले
सुख रुपी गुलाब के पोधे, उसके घर मे नहीं खिले.
मात-पिता सब से महान है, धर्म ग्रन्थ सब कहे यही..
स्वर्ग बसे उनके चरणों मे, और मिलेगा कही नहीं..

खुद गीले मे सोकर माँ ने, तुमको सूखे मे रक्खा
माँ का दूध कर्ज है तुम पर, कभी चूका ना पाओगे..
तुमको नरक भोगना होगा, माँ को अगर सताओगे..
मात-पिता को दुःख देने से, मिलते परमानंद नहीं..
उन्हें सुखी रक्खे बिना "संजय" पाओगे आनंद नहीं..

Sanjay Mehta

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