सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

माए नी कुंडा खोलदे : Maaye ni kunda Khol de: Sanjay Mehta Ludhiana










दीद करन नु पापी आये
सत्संगी सन्यासी आये
द्वार तेरे नु टोल्दे
माए नी कुंडा खोलदे

बड़े डरौने डंस गमा दे
भडक रहे ते कडक रहे
दुःख दे मारे भगत बिचारे
द्वार ते बैठे तरस रहे

मार गई मज़बूरी हल्ले
नैना ता रो - रो हो गए झल्ले
पौरा वांगु डोल्दे
माए ने कुंडा खोलदे

पैरां दे विच रिस्दे छाले
थक के हो गए चूर बड़े
बिना दर्श दे पीड़ा देंदे
सिने विच नासूर बड़े

मुख ते उडन हवाइया माये
बच्चे दें दुहाईया माये
मुहो कुझ ता बोल दे
माए नु कुंडा खोल दे

असी गुनाह दे हा पुतले
माए नी भुल्नहारे हां
गुस्सा छड दे आखिर
माए तेरी अख दे तारे हां

हे अम्बे 'संजय' दी माँ भवानी
हे जगदेवा कल्याणी
प्यार दा अमृत घोल दे
माए नी कुंडा खोल दे






बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

माँ और ध्यान भगत की बात







माँ और ध्यान भगत की बात


माँ:- तू भगतो मे भगत मेरा मैंने तेरी भगती मानी है... तोड़ भी दे अभिमान ध्यानु कोन ऐसा अभिमानी है..

ध्यानु जी :- मेरी बचाई लाज री अम्बे तेरी अजब कहानी है .. तीनो लोक मे राज तेरा तू सब से बड़ी महारानी है

माँ:- तेरी भगती से हु खुश मै.. सुन ध्यानु भगत प्यारे .. तेरी भगती से हु खुश मै.. सुन ध्यानु भगत मेरे प्यारे ..
तुने भगती भाव दिखाया सुन मेरी आँखों के तारे.. जान गई तेरे गुण सारे तू भगत मेरा बड़ा ग्यानी है..

ध्यानु जी :- मेरी लाज बचाई री अम्बे तेरी अजब कहानी है .. तीनो लोक मे राज तेरा तू सब से बड़ी महारानी है

ध्यानु जी :- हे अम्बे सुन जगदम्बे तुने मेरा मान बढाया है.. हे अम्बे सुन जगदम्बे तुने मेरा मान बढाया है..
हे ज्योति रूप ज्वाला इस भगत को दर्श दिखाया है..इस भगत को दर्श दिखाया है.. तू सब से बड़ी महामाया है
तू ही तो ज्ग्कल्यानी है

माँ:- तू भगतो मे भगत मेरा मैंने तेरी भगती मानी है... तोड़ भी दे अभिमान ध्यानु कोन ऐसा अभिमानी है..

माँ:- अभिमानी सा वो अकबर चल मेरे दर पे आएगा..

ध्यानु जी :- अभिमान भरा वो मस्तक आ तेरे चरणों मे वो झुकाएगा

माँ:- ध्यानु जगत सरहावेगा जो तुने दी कुर्बानी है
मेरे साथ साथ हे ध्यानु तेरा जग मे चलता नाम रहे -2

ध्यानु जी :- तेरे चरणों मे जगदम्बे मेरा जन्म जन्म प्रणाम रहे

संजय मेहता कहे.. माँ तुम सा ना कोई दानी है
बोलिए माँ ज्वाला देवी की जय..
बोलिए ध्यानु भगत की जय





सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

चिन्तपुरनी का इतिहास: History of Maa Chintpurni By Sanjay Mehta Ludhiana







चिन्तपुरनी का इतिहास
(भगत माईदास की कथा)







कहा जाता है के माईदास नामक दुर्गा - माता के एक श्रदालु भगत ने इस स्थान की खोज की थी.. दन्त-कथा के अनुसार माईदास के पिता अठर नामी गाव (रियासत पटियाला) के निवासी थी.. इनके तीन पुत्र थे
देवीदास , दुर्गादास व् सबसे छोटे माईदास

अपने पिता की भाँती ही माईदास का अधिकतर समय देवी के पूजा पाठ मे वेय्तीत होता था . इस कारन वह अपने बड़े दो भाइयो के साथ व्यापार आदि काम काज मे पुरा समय ना दे पाते थे.. इसी बात को लेकर उनके भाइयो ने उन्हें घर से अलग कर दिया.. परन्तु माईदास ने फिर भी अपनी भगति व् दिनचर्या मे कोई कमी ना आने दी.. एक बार अपनी ससुराल जाते समय माईदास जी मार्ग मे घने जंगल मे वट-वृक्ष के नीचे आराम करने बैठ गए ( इस स्थान का प्राचीन नाम छ्प्रोह था और आजकल उसी वट वृक्ष के नीचे चिन्तपुरनी मंदिर बना हुआ है)

संयोगवश माईदास जी की आँख लग गई तथा स्वप्न मे उन्हें दिव्या - तेज से युक्त एक कन्या दिखाई दी.. जिसने उन्हें आदेश दिया के तुम इसी स्थान पर रहकर मेरी सेवा करो.. इसी मे तुम्हारा भला है.. तन्द्रा टूटने पर वह फिर ससुराल की और चल दिए.. परन्तु उनके मस्तिष्क मे बार बार वह ध्वनि गूंजती रही 'इस स्थान पर रहकर मेरी सेवा करो, इसी मे तुम्हारा भला है '

ससुराल से वापिस आते समय माईदास के कदम फिर यहाँ ठिठक गए.. घबराहट मे वह फिर उसी वट-वृक्ष के छाया मे बैठ गए और भगवती की स्तुति करने लगे.. उन्होंने मन ही मन प्राथना की - माता यदि मे शुद्ध हृदय से आप की उपासना की है तो प्रत्यक्ष दर्शन देकर मुझे आदेश दे.. जिससे मेरा संशय दूर हो .. बार बार स्तुति करने पर उन्हें सिंह वाहिनी दुर्गा के चतुर्भुजी रूप मे साक्षात दर्शन हुए.

देवी ने कहा कि मै इस वृक्ष के नीचे चिरकाल से विराजमान हु.. लोग यवनों के आक्रमण तथा अत्याचारों के कारण मुझे भूल गए है.. मै इस वृक्ष के नीचे पिंडी रूप मे स्तिथ हु . तुम मेरे परम भगत हो अत: यहाँ रहकर मेरी आराधना और सेवा करो.. मै छिन्मस्तिका के नाम से पुकारी जाती हु.. तुम्हारी चिंता दूर करने के कारन अब मै यहाँ चिन्तपुरनी नाम से प्रिसद्ध हो जाउंगी.. माईदास जे ने नतमस्तक होकर निवदन किया - हे जगजननी भगवती! मै अल्प बुद्दी व् अशक्त जीव हु.. इस भयानक जंगल मे अकेला किस प्रकार रहूँगा? ना यहाँ पानी, ना रोटी, ना ही कोई स्थान बना है... यहाँ तो दिन मे ही डर लगता है .. रात्री कैसे कटेगी? माता ने कहा कि मै तुमको निर्भय - दान देती हु.. इस मन्त्र का जप करो जिससे तुम्हारा भय दूर होगा.

इस मन्त्र द्वारा तुम मेरी पूजा करो.. नीचे जाकर तुम किसी बड़े पत्थर को उखाड़ो, वह जल मिलेगा, उसी से तुम मेरी पूजा किया करना.. जिन भगतो कि मै चिंता दूर करूंगी, वह स्वय ही मेरा मंदिर बनवा देंगे .. जो चडावा चडेगा उससे तुम्हारा गुजारा हो जायेगा.. सूतक - पातक का विचार ना करना.. मेरी पूजा का अधिकार तुम्हारे वंश को ही होगा.. ऐसा कहकर माता पिंडी के रूप मे लोप हो गई

भगत माईदास कि चिंता का निवारण हुआ.. वह प्र्फुल्ल्चित पहाड़ी से थोडा नीचे उतरे और एक बड़ा पत्थर हटाया तो काफी मात्र मे जल निकल आया. माईदास कि ख़ुशी कि सीमा ना रही.. उन्होंने वाही अपनी झोंपड़ी बना ली और उसी जल से नित्य नियमपूर्वक पिंडी कि पूजा करनी प्रारम्भ कर दी .. आज भी वह बड़ा पत्थर , जिसे माईदास जी ने उखाड़ा था, चिन्तपुरनी - मंदिर मे रखा हुआ है.. जिस स्थान से जल निकला था.. वह अब सुंदर तालाब बनवा दिया गया है.. इस स्थान से जल लाकर माता जी का अभिषेक किया जाता है


बोलिए माँ चिन्तपुरनी की जय
लिखने मे कोई गलती हो तो अल्प बुद्दी समझ  कर माफ़ करना
माँ का दास संजय मेहता
जय माता दी जी





मैनू चाहिदा सहारा तेरे नाम दा, menu chahida sahara tere naam da.. Sanjay Mehta Ludhiana











मैनू चाहिदा सहारा तेरे नाम दा होर कोई ना सहारा बिन तेरे
जय भवानी जय अम्बे , जय भवानी जय अम्बे

तेरे चोले नु लावा मै टिकिया -२ तेनु पूज्दिया माँ कंजका निकिया
जय भवानी जय अम्बे , जय भवानी जय अम्बे

तेरे चोले नु लावा माँ केसर -२ तेनु पूजदे ने माँ पंज परमेश्वर
जय भवानी जय अम्बे , जय भवानी जय अम्बे

तेरे चोले नु लावा माँ हीरे-२ तेनु पूजे ने माँ छोटे वड्डे वीरे
जय भवानी जय अम्बे , जय भवानी जय अम्बे

तेनु चोले नु लावा माँ किनारी-२ तेनु पूज्दी माँ दुनिया सारी
जय भवानी जय अम्बे , जय भवानी जय अम्बे

जय माता दी जी _/|\_ जय माता दी जी _/|\_




रविवार, 16 अक्तूबर 2011








जय काली कलकते वाली, तेरा वार ना जाए खाली, तुमने सबकी विपता टाली बोलो भगतो जय माँ काली की जय माता दी जी

श्री काली देवी का स्र्वप्रिसिध शक्तिपीठ भारत के परमुख नगर कलकता मे स्थित है.. यहाँ पर भगवती सती के 'केश' (बाल) गिरे थे.. यहाँ श्री काली देवी के तीन मंदिर क्रमश: रक्ताम्बरा मुंडमालिनी तथा नुक्केशिनी नामो से है..


कुछ दैत्यों को मार दिया, कुछ को खाया महाकाली ने
कुछ को पैरो से कुचल दिया, कुछ मसले खप्पर वाली ने
दल पर दल मार दिए, फेंके, महाशक्ति दीन दयाली ने
भेंटे दुर्गा को चंड - मुंड सिर, काटे थे जो महाकाली ने
काली बोली माता अम्बे, इन दुष्टों को स्वीकार करो
तेरी ही शक्ति से मारे , जग भगतो का कल्याण करो
दुर्गा बोली, देवी काली , तुम जाओ अब विश्राम करो
चामुंडा होगा नाम तेरा, निज भगतो के संताप हरो
बोलो माँ के प्यारो जय माता दी जी






शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

सुन भगत सुदामा : Sun Bhagt Sudama: Sanjay Mehta Ludhiana









सुन भगत सुदामा से रो - रो कह रही नारी
तुम जाओ द्वारिका जी दुःख हर ले कृष्ण मुरारी

इसी किस्मत मेरी खोटी
कभी ना खाई सुख की रोटी
मै रो रो मरती जी
पैसे बिन बड़ी लाचारी सुन भगत...

बच्चे फिरते तन से नंगे
जैसे फिरते हो भिखमंगे
मै कुड कुड मरती जी
चुप रहू शर्म की मारी सुन भगत...

होली बीती आई दिवाली
घर मे बज राझी खली थाली
मै सह नहीं सकती जी
बच्चो की हा हाकारी सुन भगत....

कहे सुदामा सुन मेरी प्यारी
बात तो है तेरी सच्ची साड़ी
पर मै नहीं जाऊ री
मेरे मित्र है गिरधारी सुन भगत...

क्या कुछ तोहफा लेकर जाऊ
कैसे उनको मुख दिखलाऊ
वहां पुलिस पकड़ लेगी
कर देगी मेरी ख्वारी सुन भगत...

बहु मांगकर चावल लाई
फटे चिर मे गाँठ लगाई
चल दिए सुदामा जी
जहा बसते है त्रिपुरारी सुन भगत...






गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे : Maiya Ji Kalam Dwat Hath Tere: Sanjay Mehta Ludhiana











मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

पहला ता लेख मेरे मथे दा लिख दे सीस झुकाना दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे


दूजा ता लेख मेरे कन्ना दा लिख दे मै भेंट सुना दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

तीजा ता लेख मेरे अंखा दा लिख दे दर्शन करा मै दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

चौथा ता लेख मेरी जीवा दा लिख दे मै नाम जपा दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे


पंजवा ता लेख मेरे हथा दा लिख दे मै सेवा करा दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

छेवा ता लेख मेरे पैर दा लिख दे मै दर ते आवा नित तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे



मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे : Maiya Ji Kalam Dwat Hath Tere: Sanjay Mehta Ludhiana










मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

पहला ता लेख मेरे मथे दा लिख दे सीस झुकाना दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे


दूजा ता लेख मेरे कन्ना दा लिख दे मै भेंट सुना दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

तीजा ता लेख मेरे अंखा दा लिख दे दर्शन करा मै दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

चौथा ता लेख मेरी जीवा दा लिख दे मै नाम जपा दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे


पंजवा ता लेख मेरे हथा दा लिख दे मै सेवा करा दर तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे

छेवा ता लेख मेरे पैर दा लिख दे मै दर ते आवा नित तेरे
मैया जी कलम दवात हाथ तेरे, सोणे मेरे लेख लिख दे




शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

Maa Bhadarkaali Mandir Kurukshetr By Sanjay Mehta Ludhiana










Maa bhadrakali devi,online Pooja /Archana,Havan Yagya Anushtaanam Abishekam at various temples of the holy land of Kurukshetra

















कथा अनुसार ५१ विभिन्न स्थानों पर माता सती के अंग-प्रत्यंग गिरे.. इन्ही मे से कुरुक्षेत्र स्थित भद्रकाली मंदिर की गणना है . यहाँ माँ सती का दया टखना गिरा था. चेत्र व् असौज मे माता के मेले भरते है.. यहाँ पर देवीकूप और देवीमाता - तालाब है.. कहते है महाभारत का युद्ध प्रारम्भ होने से पहले भगवन कृष्ण ने इस देवी-कूप पर सोने का घोडा चडाने की मन्नत मानी थी.. इसी कथा के अनुसार आज तक देवीकूप पर लोग मन्नत मानते है तथा पूरी होने पर प्रतीक रूप मे लकड़ी के घोड़े चड़ाए जाते है

जय माता दी जी..





शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

माँ अपने दीवाने पर एक कर्म कमा देना : Maa Apne Diwane Par ek Karm: Sanjay Mehta Ludhiana









माँ अपने दीवाने पर एक कर्म कमा देना
जिस दिन मै तुझे भूलू , दुनिया से उठा देना माँ...
बोलिए जय माता दी जी

हु मगर तेरी चोखट पे पड़ा हु माँ
कभी नजर पड़े तेरी, कदमो मे लगा लेना
बोलिए जय माता दी जी


चाहता हु मगर मेरी चाहत भी तो एसी है
कुछ दिल मे दर्द देना , कुछ दर्द दवा देना
बोलिए जय माता दी जी


सपने मे अगर मुझमे अभिमान कही आये
तुझे कसम फकीरों की , मेरा कंठ दबा देना
बोलिए जय माता दी जी


मैया दास हु मै तेरा , मुझे दास ही रहना है
माँ अपने गुलामो में, मेरा नाम लिखा देना
बोलिए जय माता दी जी


अगर देना मुझे मेरी माँ तो मुझे सब्र - शुक्र देना
सुख देके तू सुखदाती , नजरे ना हटा देना
बोलिए जय माता दी जी