शनिवार, 14 मई 2011

मोहे डर लागे राम









मोहे डर लागे राम


मेरी छोटी से है नाव, तेरे जादू भरे पाँव,
मोहे डर लगे राम कैसे बिठाऊ तोहे नाव मे
जब पत्थर से बन गई नारी , यह तो काठ की नाव हमारी
करू यही रुजगार, पालू सारा परिवार, सुनो सुनो जी सरकार
कैसे बिठाऊ तोहे नाव मे..

एक मानो तो बात बताऊ, तेरे चरणों की धुल हटाऊ..
मेरा संशय हो जाये दूर, अगर तुम्हे हो मंजूर
सुनो सुनो जी हजूर, पाछे बेठाऊ तोहे नाव मे..
कैसे बिठाऊ तोहे नाव मे..


बड़े प्रेम से चरणों को धोया, पाप जन्म जन्म का खोया
हुआ बड़ा प्रसन्न , किया राम दर्शन, संग सिया और लखन
कैसे बिठाऊ तोहे नाव मे..


धीरे धीरे नाव चलाता, वो तो गीत ख़ुशी के गाता
सोचे यही मन मे , सूरज डूबे छिन्न मे, नहीं जाये वन मे.
कैसे बिठाऊ तोहे नाव मे..


ले लो ले लो मल्लाह उतराई, मेरे पास कुछ नहीं भाई,
ये तो कर लेना स्वीकार, तेरा बेडा हो जाये पार
तेरी होगी जय जय कार.. बेठ आये रे तेरी नाव मे
कैसे बिठाऊ तोहे नाव मे..

जैसे तुम हो खिवईया वैसे हम है, भाई भाई से लेना शरम है
मैंने नदी कराई पार, करना भवसागर से पार
सब भगता की पुकार, बेठे रहो जी मेरी नाव मे
कैसे बिठाऊ तोहे नाव मे..



बोलो सियावर राम चंदर की जय..
पवन पुत्र हनुमान की जय..
जय माता दी जी..


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