गुरुवार, 30 जून 2011

ॐ साईं राम!!! :Sanjay Mehta, Ludhiana










ॐ साईं राम!!!

साईं ???

ये समझाया और समझा जा नहीं सकता है~
पर इतनी बात तो पक्की है कि
मेरा साईं मंदिर , मस्जिद , गुरूद्वारे , चर्च में नहीं है ~
मेरा साईं मूर्ति , पत्थर या कागज़ में नहीं है ~
मेरा साईं भगवा कपड़ों में नहीं है ~
मेरा साईं खुल्ली धोती या कोई बोदी में भी नहीं है ~
मेरा साईं नदियों , गुफाओं या पहाड़ों में भी नहीं है ~

फिर कहाँ है मेरा साईं, मेरा बाबा ???

चलो मैं ही बताता हूँ...

मेरा साईं हर किसी के अन्दर है ~
मेरे साईं एक विशवास है~ एक नियम है ~ एक एहसास है ~ एक सच है~~
जिस मन में साईं है ...वो मन ही मंदिर है ~
किसी में भी साईं जैसे गुणों का होना ही साईं का होना है ~
जैसे सूरज औरों के लिए जलता है~
जैसे जल औरों को जीवन देता है~
जैसे हवा औरों को सकून देती है~
जैसे धरती माँ औरों को सब कुछ देती है~
जैसे पेड़ अपने फल औरों को देते है~
ठीक वैसे ही जो इन्सान सब औरों के लिए करता है~
वो ही साईं जैसा है...
बाकी सब तो..........................................
...............

जय साईं राम!!!







बुधवार, 29 जून 2011

आया सावन सुहाना है.., शिव के घर जाना है..:Sanjay Mehta, Ludhiana










आया सावन सुहाना है..

आया सावन सुहाना है.., शिव के घर जाना है..
कोई दे दो रे ठिकाना, मुझे कावड चडाना है
हरि ॐ नम: शिवाय, हरि ॐ नम: शिवाय

नहीं देखा मै उसको, नहीं देखा वो मुझको,
फिर भी मन ये माने, महादेव मेरा उसको
मै कैसे समझता हु, सब साथ  पुराना है..
कोई दे दो रे ठिकाना

कहते है सब मुझको, भोला भंडारी है..
जो शरण पड़ा उसकी, हर विपदा टारी है
कैसे मै पाऊ तुम्हे, होकर मै दीवाना..
कोई दे दो रे ठिकाना

गल मे सोहे इनके, सर्पो की माला है
रहता है मस्त सदा, पीये भंग का प्याला है
मस्तक चंदा सोहे, कहता ये जमाना है..
कोई दे दो रे ठिकाना


Sanjay Mehta
जय माता दी जी








मंगलवार, 28 जून 2011

जाने वाले इक संदेशा बालाजी को दे देना:Sanjay Mehta, Ludhiana









जाने वाले एक संदेशा..

जाने वाले इक संदेशा बालाजी को दे देना
एक देवाना याद मे रोये, उसके दर्शन दे देना
जिसको बजरंग बाबा बुलाये किस्मत वाले होते है..
जो बाबा से मिल नहीं पाते, छुप - छुपकर वो रोते है..
जितनी परीक्षा मेरी ली है.. और किसी की ना लेना..
जाने वाले..

तुने कौन सा काम किया है, तेरा बुलावा आया है..
मैंने कोन सा पाप किया है.. दिल से तुझे बुलाया है..
एक बार मुझे दर पे बुलाले, इतनी कृपा कर देना
जाने वाले..

तुझको है विश्वास ये दिल मे मेरा बुलावा आयेग..
घाटे वाला दर्शन देकर, मुझको गले लगाएगा..
एक बात बालाजी से कहना मेरा भरोसा टूटे ना..
जाने वाले..


कैसा लगता है मेरा बाबा, मुझको जरा बताओ तो
क्या-क्या लीला करता है बाबा, मुझको जरा सुनाओ तो..
बच्चा तेरा दुखिया है बाबा तुझको भीक्षा ये मांगता है..
जाने वाले..

अजर अमर का वर बाबा ने माँ सीता से पाया है..
मेहंदीपुर तेरा धाम निराला भगतो के मन भाया है..
सिया राम का दर्श करा के भगति अपने दे देना
जाने वाले..
Sanjay Mehta
Jai Mata di g





सोमवार, 27 जून 2011

है वो देव निराला..:Sanjay Mehta, Ludhiana









है वो देव निराला..

डमरू बजाये, अंग भस्म रमाये और ध्यान लगाये किसका..
ना जाने वो डमरू वाला, ना जाने वो डमरू वाला
सब देवो मे... सब देवो मे.. है वो देव निराला

मस्तक पर चंदा, ओ जिसकी जटा मे है गंगा
रहती पार्वती संग मे, सवारी है बुडा नंदा..
वो कैलाशी , है अविनाशी, पहने सर्पो की माला..
डमरू बजाये

बाघम्बर धारी, वो भोला शम्बू त्रिपुरारी
रहता मस्त सदा, जिसकी महिमा है न्यारी
हे शिवशंकर, हे प्रलयंकर , रहता सदा मतवाला...
डमरू बजाये


'संजय मेहता' गाए, शिव शम्भू को ध्याये
जो भी मांगे सो पाए, दर से खाली ना जाये..
बड़ा है दानी, बड़ा है ज्ञानी , सरे जग का रखवाला..
डमरू बजाये


Sanjay Mehta
Jai Mata di G





रविवार, 26 जून 2011

मिलता है सच्चा सुख केवल, भगवन तुम्हारे चरणों मे.:Sanjay Mehta, Ludhiana











मिलता है सच्चा सुख केवल, भगवन तुम्हारे चरणों मे..
यह विनती है पल पल छिन छिन, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे..

जिव्हा पर तेरा नाम रहे, तेरी याद सुबह और शाम रहे..
बस काम यह आठो याम रहे, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे..
मिलता है

चाहे संकट ने मुझे घेरा है, चाहे चारो और अँधेरा हो..
पर चित्त न डगमग मेरा हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे..
मिलता है..

चाहे अग्नि मे भी जलना हो, चाहे कांटो पर ही चलना हो..
चाहे छोड़ के देश निकलना हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे..
मिलता है...

चाहे ग्रेह्स्थ का फर्ज निभाना हो, चाहे घर - घर अलख जगाना हो..
चाहे दुश्मन सारा जमाना हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे..
मिलता है...

चाहे बीच भवर मे नैया हो, चाहे कोई ना उसका खिवैया हो..
भवसागर पार उतरने को, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे..
मिलता है..

चाहे बैरी सब संसार बने, चाहे जीवन मुझ पर भार बने..
चाहे मौत गले का हार बने, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे..
मिलता है ..

Sanjay Mehta
Jai Mata Di G





शनिवार, 25 जून 2011

कामाख्या मेरी मैया: Sanjay Mehta, Ludhiana








कामाख्या मेरी मैया, कामाख्या मेरी मैया
अटकी भगतो की नैया, कामाख्या मेरी मैया

देश तेरा परदेस तेरा, सारे जग की मैया भवानी है..
हिमाचल की प्यारी, जाने दुनिया सारी,
शिवशंकर की तू पटरानी है..
तू ही पर्वतवाली है.. तू ही कलकत्तेवाली है ..
कामाख्या मेरी मैया

अम्बे तू ही जगदम्बे तू ही, मैया तू ही तो शेरावाली है..
हाथ माला लिए, सवारी सिंह की किए..
दुष्टों को पल मे मारने वाली है..
तू ही है पर्वतवाली , तू ही है जम्मूवाली
कामाख्या मेरी मैया

ब्रह्मपुत्र तेरे चरणों मे बहे, सारे देव तेरा गुणगान करे..
हाथ सर पर रखे, तेरा ध्यान धरे..
मैया भगतो की झोली तू पल मे भरे..
जय मैया रातोवाली, जय माँ गौहाटीवाली
कामाख्या मेरी मैया



Sanjay Mehta
Jai Mata Di G






शुक्रवार, 24 जून 2011

ओ माँ , ओ माँ तुझे दूंडू आज कहाँ:Sanjay Mehta, Ludhiana













ओ माँ , ओ माँ तुझे दूंडू आज कहाँ.
पर्वत-पर्वत डूंडा मैंने मिलता नहीं निशा..
ओ माँ ओ माँ...

तुने मुझको जन्म दिया माँ. मै तेरी संतान हु..
तू तो है माँ बखशान्हारी, मै बेटा नादान हु..
मेरी खुशियों की दुनिया माँ हो गई आज वीरां
ओ माँ ओ माँ

भर के लाई हु दामन मे, आशाओं के फुल माँ..
फूलो के बदले मे मुझको , दे चरणों की धुल माँ..
तेरा ही बस नाम उचारे मेरी आज जुबां
ओ माँ ओ माँ...

नैनो मे है ज्योति तुम्हारी, ह्रदय मे तस्वीर है..
मेरे हिस्से मे दे दी माँ, अंसुवन की जागीर है..
तू रूठी तो किस्मत रूठी, रूठा आज जहाँ
ओ माँ ओ माँ..

होंठो पे है नाम तुम्हारा, दिल मे तेरी याद माँ..
पता नहीं कब सुन पाओगी, मेरी यह फरियाद मे..
दिल ही दिल मे रह जायेगा, दिल का यह अरमां
ओ माँ.. ओ माँ..



Sanjay Mehta
Jai Mata di G



गुरुवार, 23 जून 2011

मेरी माँ से मुलाकात: Sanjay Mehta, Ludhiana










काल जब आता है तो उसको आने भी दो..
जो भी होनी है वो बात हो जायेगी..
स्वर्ग की और जायेगी जब आत्मा
मेरी माँ से मुलाक़ात हो जायेगी..
मेरी माँ से मुलाकात...

मोह माया जगत की सभी छोड़ दू..
ये ही बेहतर है उसके भवन को चलू
रौशनी बनके आएगी माता मेरी
रस्ते मे गर रात हो जाएगी
मेरी माँ से मुलाकात..

ढोल ब्रह्मा बजायेंगे, खड़ताल शिव
शंख फुन्केगे विष्णु जी और लक्ष्मी
शेर पे सजके माता चलेगी अगर
साथ संतो की बारात हो जाएगी..
मेरी माँ से मुलाकात..

काम भगतो के संकट मे आ तो सही..
तुझपे कुर्बान कर देंगे जीवन सभी
हमको कांटो से माता बचा तो सही
तुझपे फूलो की बरसात हो जाएगी
मेरी माँ से मुलाकात..

ध्यान रखना ना माया मुझे लूट ले..
तेरे सेवक "संजय" की ये अरदास है..
बात मेरी जगत मे रहेगी कहाँ.
जीत होकर अगर मात हो जाएगी..
मेरी माँ से मुलाकात..


Sanjay Mehta
Jai Mata di G



बुधवार, 22 जून 2011

आजा देर ना लगा : Sanjay Mehta, Ludhiana






आजा देर ना लगा


तेरा नाम है प्यारा, जपे जग मैया सारा..
मैंने तुझको पुकारा, आजा देर ना लगा
मुझे दे - दे माँ सहारा, आजा देर ना लगा
आजा देर ना लगा


डगमग डोले मेरी नैया मझधार मे
भटक रहा हु मै तो आज संसार मे..
करो ना किनारा, मेरा दिल रो रो पुकारा
आजा देर ना लगा


दिल मे बसाई मैंने तेरी तस्वीर माँ..
छम छम बहने लगे अखियो से नीर माँ..
तुझे दिल से उतारा, काहे तुमने बिसारा..
मैंने तुझको पुकारा..
आजा देर ना लगा

सूना सूना लगता है जिन्दगी का साज माँ..
जाने कब सुनेगी तू मेरी आवाज माँ..
दे दो अपना नजारा, बोलू तेरा मै जैकारा...
मैंने तुझको पुकारा..
आजा देर ना लगा


Sanjay Mehta
Jai Mata di G






मंगलवार, 21 जून 2011

गल सुण शेरावालिये:Sanjay Mehta, Ludhiana










गल सुण शेरावालिये
जदों याद करा ओदो आवी..
देखि किते मुख फेर के..
लंघ कोल दी किते ना जावी..
गल सुण..

प्यार दा भरया दिल माँ अपना
साथों कदी लुकोवी ना..
चारो पासे पत्थर तेरे
तू वी पत्थर होवी ना..
ममता दे सच्ची ज्योत नू -२
ना तू अपने आप बुझावी
गल सुण शेरावालिये..


तेरे मेरे प्यार दे अंदर
कोई कदे न कंद होवे
बच्चिय जिस था नचना गाना
मन मंदर ना बंद होवे..
साडे कोलो भूल जे होवे...
बच्चे जाण के सदा समझावी
गल सुण शेरावालिये..

साडिया राहवा दे विच माये
दुःख दे राखी छापे ना
पुत्त कपुत्त ता हो जांदे ने
मापे होण कुमापे ना
माँ 'निर्दोष/संजय'' ना नू देखी
दाग किते ना लावी
गल सुण शेरावालिये

देखी किते मुख फेर के
लंघ कोल दी किते ना जावी
लंघ कोल दी किते ना जावी

Sanjay Mehta
Jai Mata di G








सोमवार, 20 जून 2011

आओ बच्चो तुम्हे सबकी माँ से मिलवाऊ:Sanjay Mehta, Ludhiana









आओ बच्चो तुम्हे सबकी माँ से मिलवाऊ-२
तुम्हे जग की माँ से मिलवाऊ..
भोली मैया का घर कैसा है दिखलाऊ..
आओ - आओ

उस मैया का घर कैसे है
क्या वो अपने घर जैसा है..
इक बार दर्स तो करवा दो
हम को भी माँ से मिलवा दो..
माँ का घर बोलो कैसा है.

अच्छा माँ के घर की यात्रा चलो..
यहाँ से शुरू करते है..


देखो - देखो भगतो ये है दर्शनी द्वार-२
यही से यात्रा शुरू करे सारा संसार
वो क्या है..

बाण गंगा.. वो बाण गंगा बड़ी पवन है..
इसे बाण से माँ ने प्रकट किया..
भगतो ये उपहार दिया..


वैष्णो माँ जब आई थी उस रस्ते पर -२
तब माँ के पगचिन्ह बने इस पथर पर..
चरण पादुका भी इनको कहते है..


इन्हें शीर्ष झुककर नमन करो
फिर गर्भ -जून की और बड़ो..
अरे ये जो सामने सुंदर गुफा नजर आती है..
वैष्णो ने नौ माह यही तपस्या की है..


गर्भ - जून गुफा
गर्भ - जून गुफा मे मंदिर है..
ये आध्कुमारी का मंदिर


चलो दर्श करो आगे फिर

यह हाथ माथे की सीढ़ी चढाई है.. -२

यहाँ से पावन गुफा दिखलाई देती है..
कठिन डगर कट जाएगी..

जय माँ वैष्णो की बोलो बच्चो मिलकर

हम आ पौचे वैष्णो माँ का द्वार पर
वैष्णो माँ के दर्स करो
दर्शन करके तुम झोली भर लों..

ये तीन पिंडिया त्रिशक्ति
दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती
वैष्णो माँ के दर्स करो..


अब भेरो जी के दर्शन को भी जाना है..
वैष्णो दर्शन का पूरा फल पाना है..
भेरव जी माँ के सेवादार

माँ के सेवक को नमस्कार करो..
वो भागो वाला होता है
जो वैष्णो माँ के दर्शन पाता है..
जय माँ की बोलो जय माँ की..


Sanjay Mehta
Jai Mata Di G



रविवार, 19 जून 2011

शतनामस्त्रोत्र:Sanjay Mehta, Ludhiana











हृषिकेश (इन्देरियो के स्वामी), केशव, मधुसुदन (मधु दैत्य को मारने वाले), सर्वदत्यसुदन (सम्पुरण दैत्यों के संहारक), नारायण, अनामय (रोग-शोक से रहित), जयंत, विजय, क्रिशन, अनंत, वामन, विष्णु, विश्वेश्वर, पुण्य, विशवात्मा, सुरार्चित ( देवताओ द्वार पूजत), अनघ (पापरहित), अघर्ता, नारसिंह, श्रीप्रिया (लक्ष्मी के प्रियतम) , श्रीपति, श्रीधर, श्रीद (लक्ष्मी प्रदान करनेवाले), श्रीनिवास, महोदय (महान अभुद्य्शाली), श्रीराम, माघव, मोक्ष, क्षमारूप , जनार्दन, सर्वज्ञ , स्र्व्वेक्ता, सर्वेश्वर, सर्वदायक , हरि , मुरारी, गोविन्द, पधाम्नाभ, प्रजापति, आनंद, ज्ञानसम्पन , ज्ञानद, ज्ञानदायक, सबल, चन्द्रवक्त्र , (चन्द्रमाँ के समान मनोहर मुखवाले ), व्याप्तपरावर , योगेश्वर , जग्ध्योनी, ब्रह्मरूप , महेश्वर, मुकुंद, वैकुण्ठ, एकरूप, कवि, ध्रुव, वासुदेव, महादेव, ब्रह्मण्य, ब्राह्मण-प्रिय, गोप्रिया, गोहित, यज्ञाग़ , याग्वर्धन , वेद-वेदांगपारग , वेदाज्ञ वेदरूप, विधावास, सुरेश्वर, प्रत्यक्ष , म्हाहंस, शंखपाणि , पुरातन, पुष्कर, पुष्कराक्ष, वराह, धरनीधर, प्रधुम्न, कम्पाल, व्यास्ध्यात, महेश्वर, स्र्व्सोख्य, म्हासौख्य , सांख्य, पुर्शोतम, योगरूप, महाज्ञान , योगीश्वर, अजित, प्रिय, असुरारी, लोकनाथ, पध्म्हस्त, गदाधर, गुहावास, सर्ववास, पुन्यवास , महाजन, व्रन्दानाथ , ब्रेह्त्काये, पावन, पापनाशन, गोपीनाथ, गोप्स्ख, गोपाल, गोग्नश्र्य, परात्मा, प्रधिश, कपिल तथा कर्यमनुष (संसार का उद्धार करने के लिए मानव-शरीर धारण करनेवाले) आदि नामो से प्रसिद्ध सर्वस्वरूप परमेश्वर को मै प्रतिदिन मन, वाणी तथा क्रियाद्वारा नमस्कार करता हु.. जो पुण्यात्मा पुरष शतनामस्त्रोत्र पढकर स्थिरचित से भगवान श्रीकृष्ण  की स्तुति करता है.. वह सम्पूर्ण दोषों का त्याग करके इस लोक मे  पुन्यस्व्रूप हो जाता है तथा अंत मे वह भगवान मधुसुदन के लोक को प्राप्त होता है.. यह शतनाम-स्तोत्र महान पुन्याका जनक और समस्त पातको की शुद्धी करने वाला है.. मनुष्य को ध्यान्युख होकर अनान्य्चित से इसका जप और चिंतन करना चाहिए.. प्रतिदिन इसका जप करनेवाले  को नित्यप्रति गंगास्नान का फल मिलता है.. इस लिए सुस्थिर और अकग्र्चित होकर इसका जप करना उचित है..

Sanjay Mehta

Jai Mata di G






शनिवार, 18 जून 2011

माँ जगदम्बे सुन ले , तेरी महिमा गायेंगे..:Sanjay Mehta, Ludhiana








जगदम्बे सुन ले..

हर बार तेरे दर पे नवगीत सुनायेंगे..
माँ जगदम्बे सुन ले , तेरी महिमा गायेंगे..


तुमसे मिलने को हमें, रोकोगी भला कैसे ..
कदमो से लिपट जाये, वृक्षों से लता जैसे..
सपनो मे मिली माँ को, हम सामने पायेंगे..
हर बार तेरे दर पे नवगीत सुनायेंगे..


होगी तृष्णा भी पूरी, प्यासी इन अंखियन की..
माथे से लगा लेंगे, धुली तेरे चरणन की..
चरणामृत लेकर माँ हम भव तर जायेंगे..
हर बार तेरे दर पे नवगीत सुनायेंगे..

सदियों से सदा हमने, तेरी आश लगाई है..
पागल मनवा कहता है, माँ तुझको बुलाई है..
पाकर के तेरे दर्शन, मन को समझायेंगे..
हर बार तेरे दर पे नवगीत सुनायेंगे..


चुनकर मन उपवन से , पुष्पों की मधुर लडिया..
एक हार बनाया है.. बीती है कई घडिया..
यह पुष्प - भजनमाला, तुझे भेंट चढ़ाएंगे ..
हर बार तेरे दर पे नवगीत सुनायेंगे..

Sanjay Mehta
Jai Mata Di G