गुरुवार, 26 मई 2011

लोग इस जहां को भूल जायेंगे..









लोग इस जहां को भूल जायेंगे..
माँ कभी ना हम तुम्हे भुलायेंगे..
जितनी भी जहां मे नेमते
माँ तुम्हारे द्वार की है रहमते..
जो कुछ भी माँ तुमने दे दिया..
क्यों करे ना हम तुम्हारे शुक्रिया..
हम तेरा माँ शुक्र ही मनाएंगे..


हम गिरे तो तुम ही सम्भालती
ममता से दुलार से हो पालती..
हम सभी माँ तेरे कर्जदार है..
हर घडी हर वक्त तलबगार है..
कैसे ये एहसान हम चुकायेंगे..
लोग इस जहान...

कब कहाँ तू कैसे आएगी नजर..
क्या पता तू क्या करेगी कब किधर
जिस जगह माँ जो तेरा आकर है..
उसको माँ प्रणाम बार बार है..
हम सिर को उस जगह झुकायेंगे..
लोग इस जहान..


Sanjay Mehta




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