शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

गुफा मे तीसरी पिंडी महासरस्वती की







गुफा मे तीसरी पिंडी महासरस्वती की है.. महाशक्ति के तीसरे प्रमुख रूप का नाम महासरस्वती है. परब्रह्म परमात्मा से सम्बन्ध रखने वाली यह वाणी की अधिष्ठात्री , कविओ की इष्ट देवी, शुद्ध सत्वस्व्रूपा और शांतरूप्नी है

वाणी, विद्या, बुधि और ज्ञान को प्रदान करने वाली भी यही देवी है.. अंत: वाणी मे श्रेषठता, विद्या और कलाओं मे निपुणता, बुद्धि मे विलक्षणता और ज्ञान मे विविधिता के लिए इनकी कृपा आवश्यक है.

माँ सरस्वती का शरीर अत्यंत गोर वर्ण का है

ये अत्यंत सुंदर और तेजस्वी है
इनका शरीर तेज की आभा से इतना कान्तिमान रहता है के करोड़ो चन्द्रमाओ की आभा भी उसके सामने तुच्छ प्रतीत होती है
माता का मुख चंद्रमा, नयन शरत्काल के खिले हुए कमलो के समान और दांत कुंद पुष्प के कलियों के समान है

ये उज्ज्वल वस्त्र धारण करती है.. तथा विविध प्रकार के रत्नों से निर्मित अलंकारों से शोभायमान है.. महासरस्वती श्रुतियो , शास्त्रों और सम्पूर्ण विधिआओ की स्वामिनी है..
संसार के सभी विधाए और कलाए इनका स्वरूप है.. प्रतेक मनुष्य को बुधि , विद्या , कविता करने की शक्ति, नाटक-उपन्यास और अन्य प्रकार की साहित्य रचना के लिए प्रतिभा , योग्यता और स्मरण-शक्ति इन्ही की किरपा से प्राप्त होती है..

मनुष्य को स्मरण-शक्ति प्रदान करने वाली माता सरस्वती को स्मृति शक्ति, ज्ञानशक्ति और बुधि शक्ति कहा गया है... प्रतिभा और कल्पना शक्ति भी यही है..

इन्ही की दया से ब्रह्मा, शेषनाग, ब्रेह्स्पति, बाल्मीकि, व्यास आदी वेद-शास्त्र, स्मृतिय, इतिहास, पुराण और काव्य रचना मे समर्थ हुए है


सरस्वती देवी के एक हाथ मे पुस्तक और दुसरे हाथ मे वीणा है... जो इनकी विद्या और संगीत कला की देवी होने का संकेत देते है..
सभी प्रकार की विधिआओ , सभी प्रकार के गीत-संगीत, सभी प्रकार के नृत्य और नाटको मे आराधना करने पर वे सफलता प्रदान करती है .. क्युकि सम्पूर्ण संगीत और लय तथा ताल का हेतु रूप-सोंदर्य है..

ब्रेह्म्स्वरूपा, ज्योतिस्वरूप,सनातनी और सम्पुरण कलाओं की स्वामिनी होने के कारण माता महासरस्वती, ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदी देवताओं और ऋषि-मुनि, मानव आदी से सुपूजित है..

श्रीहरी की प्रिय होने के कारण ये रत्ननिर्मित माला फेरती हुई श्रीहरी के नाम का जाप करती रहती है..

इनकी मूर्ति तपोमयी है..
तपस्या करने वाले अपने भगत को ये तत्काल फल प्रदान करती है.. सिधी, विद्या, स्र्वगिनी होने के कारण ये सिद्धि देने वाली है..
इनकी कृपा से मुर्ख अथवा अल्पमति भी बुद्धिमान विद्वान और सुकवि हो जाते है..

बोलो माँ सरस्वती की जय...
बोलो माँ वैष्णोदेवी की जय
बोलो मेरी माँ राजरानी की जय..
जय माता दी जी
संजय मेहता

Sanjay Mehta

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

jai mata di ji..
how r u??

Unknown ने कहा…

mata ki kirpa sada aap per rahe..

or aap sada khush rahe..