रविवार, 24 अप्रैल 2011

क्षमा प्राथना






क्षमा प्राथना

परमेश्वरि मेरे द्वारा रात-दिन सहस्त्रो अपराध होते रहते है.. "यह मेरा दास है" यो समझकर मेरे उन अपराधो को तुम कृपापूर्वक क्षमा करो... परमेश्वरि मै आवाहन नहीं जानता, विसर्जन करना नहीं जानता तथा पूजा करने का ढंग भी नहीं जानता, क्षमा करो... देवी... सुरेश्वरी.. मैंने जो मन्त्रहीन, किर्यहीन और भगतिहीन पूजन किया है, वेह सब आपकी किरपा से पूर्ण हो.. सैंकड़ो अपराध करके भी जो तुम्हारी शरण जा "जगदम्ब" कहकर पुकारता है, उसे वह गति प्राप्त होती है, जो ब्रह्मादिक देवताओं के लिए भी सुलभ नहीं है.. जगदम्बिके! मै अपराधी हु... किन्तु तुम्हारी शरण आया हु.. इस समय दयाका पात्र हु... तुम जैसा चाहो, करो... देवी परमेश्वरि .. अज्ञान से , भूलसे अथवा बुद्धि भ्रांत होने के कारण मैंने जो न्यूनता या अधिकता कर दी हो, वह सब क्षमा करो और प्रसन होवो .. सचिदानान्द्स्वरूपा परमेश्वरि .. जगन्माता कामेश्वरी, तुम प्रेमपूर्वक मेरी यह पूजा स्वीकार करो और मुझपर प्रसन रहो... देवी सुरेश्वरी ... तुम गोपनीय से भी गोपनीय वस्तु की रक्षा करनेवाली हो.. मेरे निवेदन किये हुए इस जप को ग्रहण करो... तुम्हारी कृपासे मुझे सिध्ही प्राप्त हो ...
जय माता दी जी..
बोलो माँ वैष्णोदेवी की जय...
बोलो माँ दुर्गा की...
बोलो माँ राजरानी की जय...
हर हर महादेव...



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