शनिवार, 23 अप्रैल 2011

छिन्मस्तिका नाम क्यों और कैसे पड़ा ? : संजय मेहता






छिन्मस्तिका नाम क्यों और कैसे पड़ा ? : संजय मेहता

श्री मार्कंडेय पुराण मै वर्णन किए अनुसार जब माँ चंडी ने सब राक्षसों का संहार करके विजय प्राप्त कर ली तो उनकी दोनों सहायक योगिनिय अजय और विजय कहने लगी की है माँ... आपने तो विजय प्राप्त कर ली.. परन्तु हमारी रुधिर-पिपासा अभी शांत नहीं हुई... हमें और रुधिर चाहिए.. इस पर माता चंडी ने उनकी संतुष्टि के लिए स्वय अपना मस्तक काटकर, अपने ही रक्त से दोनों योगनियो की रुधिर-पिपासा को शांत किया... इसी से भगवती का नाम छिन्मस्तिका पड़ा...



प्राचीन धर्म-ग्रन्थ व् पुराणों मे छिन्मस्तिका देवी के निवास के लिए मुख्या लक्ष्ण यह माना गया है की उस स्थान अर्थात छिन्मस्तिका देवी का निवास स्थान चार शिव मंदिरों से घिरा रहेगा.. यह लक्षण चिन्तपुरनी के स्थान पर शत-प्रितिशत सही प्रतीत होता है

जय माता दी जी
हर हर महादेव
मेरी माँ राज रानी की जय

Sanjay Mehta

कोई टिप्पणी नहीं: