बुधवार, 27 अप्रैल 2011

जय माता दी जी







जगदम्बा के श्री अंगो की कान्ति उदयकाल के सहस्त्रो सूर्यो के समान है..वे लाल रंग की रेशमी साडी पहने हुए है.. उनके गले मै मुंडमाला शोभा पा रही है.. वे अपने कर कमलो मै जपमालिका , विद्या, अभेय , तथा वर मुद्रए धारण किये हुए है.. तीन नेत्रों से सुशोभित मुखार-विन्द की बड़ी शोभा हो रही है.. उनके मस्तक पर चंदर माँ के साथ ही रत्नमय मुकुट बंधा है.. तथा वे कमल के आसन पर विराजमान है.. ऍसी देवी को मै भगति पूर्वक प्रणाम करता हु...बोलो दुर्गा माँ की जय, बोलो मेरी माँ वैष्णोदेवी की जय...बोलो मेरी माँ राजरानी की जय..जय माता दी जी





जगदम्बा के श्री अंगो की कान्ति उदयकाल के सहस्त्रो सूर्यो के समान है..
वे लाल रंग की रेशमी साडी पहने हुए है..
उनके गले मै मुंडमाला शोभा पा रही है..
वे अपने कर कमलो मै जपमालिका ,
विद्या, अभेय , तथा वर मुद्रए धारण किये हुए है..
तीन नेत्रों से सुशोभित मुखार-विन्द की बड़ी शोभा हो रही है..
उनके मस्तक पर चंदर माँ के साथ ही रत्नमय मुकुट बंधा है..
तथा वे कमल के आसन पर विराजमान है..
ऍसी देवी को मै भगति पूर्वक प्रणाम करता हु...
बोलो दुर्गा माँ की जय
बोलो मेरी माँ वैष्णोदेवी की जय...
बोलो मेरी माँ राजरानी की जय..
जय माता दी जी


Sanjay Mehta

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