शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

माता महाकाली की पिंडी








माता महाकाली की पिंडी

गुफा मे दूसरी पिंडी माता महाकाली की है...
महाकाली महाशक्ति का परधान अंग है.. शुम्ब और निशुम्ब के साथ होने वाले महासंग्राम के समय मे ये भगवती दुर्गा के ललाट से प्रकट हुई थी

भगवती दुर्गा का इन्हें आधा अंश माना जाता है

गुण और तेज मे यह दुर्गा के ही समान है..

इनका अत्यंत शक्तिशाली शरीर करोड़ो सूर्य के समान तेजस्वी है... सम्पुरनी शक्तियों मे यह प्रमुख है.... और इनसे बढ कर कोई शक्तिशाली है ही नहीं...

ये प्रयोग-स्वरुप्नी, सम्पूर्ण सिधी प्रदान करने वाली है.. श्री हरी के तुल्य है..

इनके शरीर का रंग कला है.. और इतनी शक्तिमान है के यदि ये चाहे तो एक ही समय मे सारे विश्व को नष्ट कर सकती है..
अपने मनोरंजन के लिए अथवा जनता को शिक्षा देने के विचार से ही ये संग्राम मे असुरो के साथ युद्ध करती है, जो भी मनुष्य महाकाली भगवती की पूजा करता है, उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अन्य सांसारिक संपतिया प्राप्त होती है

ब्रेह्मादी देवता, मुनिगण और मानव सब इनकी उपासना करते है...

महाकाली भगवान् शिव का एक नाम है उनकी शक्ति होने के कारण इनको भी महाकाली कहा जाता है.. यह देवी नीलकमल की भांति श्याम है...

चार हाथ, गले मे मुंड-माला और चोला व्यग्र के चरम का है.. इसके दांत लम्बे, जिव्हा चंचल , आंके लाल, कान चोड़े तथा मुख खुला हुआ है...

भद्रकाली , शमशान-काली, गुह्याकाली और रक्षाकाली आदी नामो से इनके अनेक रूप है... इनका एक अन्य प्रिसद्ध नाम चामुंडा है.. इन्होने असुरो के साथ होने वाले युद्ध मे चंड -मुंड नामक दो महासुरो का संहार किया...

अंत: इनको चमुंडा भी कहा जाने लगा...

माता महाकाली संसार की देवी है..
अधर्मी दुष्टों का संहार करके अपने भगतो को अभेय प्रदान करना उनका मुख्या धर्म है..
अपने भगतो के विघन, रोग, शोक, दुःख, भय आदी को ये दूर करती है..
माता महाकाली महातेज्स्व्नी है..

उनकी मूर्ति साक्षात वीरता, सहास, एश्वारिया , रूप , तेज और अलोक्किक शक्ति की प्रतीक है.. उनके दास हाथो मे खडग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, त्रिशूल, भुशुण्डी, सिर और शंख है..

उनके तीन नेत्र है.. सारे अंग आभुश्नो से सुशोभित है.. उनकी कांटी नीलमणि के समान है.. वे सदा अपने भगतो की संकतो से रक्षा करके भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है

मधु-केटभ द्वारा संकट ग्रस्त होने पर इन्होए ब्रह्मा और विष्णु को भेय्मुक्त किया था.. इनकी कृपा से मानव निर्भय हो जाता है.. युद्ध मे उसे कोई पराजित नहीं कर सकता... अकाल मृत्य नहीं होती और व्याधिय आक्रमण नहीं करती...
उसे ग्रह भुत, प्रेत, पिशाच आदी नहीं सता सकते... जो मनुष्य भगति भावना से माता महाकाली की उपासना करता है, उसके शत्रुओ का नाश होता है तथा उसे सोभाग्य, आरोग्य और परम मोक्ष की प्राप्ति होती है..

जय माँ दूर्गे
जय माँ काली
जय माँ राजरानी...
हर हर महादेव...
मेरी प्यारी माँ...
जय माता दी जी
संजय मेहता




Sanjay Mehta

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