शनिवार, 23 अप्रैल 2011

वट वृक्ष :






वट वृक्ष

माँ चिन्तपुरनी का मंदिर उसी एतिहासिक व् प्राचीन वट वृक्ष के साये मे सथित है... जिसके नीचे प: मैदास ने अपने ससुराल जाते हुए और वापिस लोटने पर भी विश्राम किया .. यही उन्हें पहले स्वप्न अवस्था मे और फिर प्रत्यक्ष दर्शन दिव्या कन्या के रूप मे हुए... यह अति प्राचीन वट-वृक्ष किस युग का है.. इसका अनुमान लगाना कठिन है.. यात्रीगण यहाँ अपने मन मे कुछ अच्छा धारण करके इसी वट वृक्ष की शाखाओ पर मोली (लाल डोरी) बांधते है... और अपनी इच्छा पूर्ण हो जाने पर माता के दरबार मे उपस्थ्तित होकर उसी मोली को खोलकर देते है... ऍसी मान्यता है की पवित्र वट-वृक्ष मे मानता करके मोली बाँधने से मुरादे पूरी होती है


जय माता दी जी
हर हर महादेव
मेरी माँ राज रानी की जय

Sanjay Mehta

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