बुधवार, 1 जून 2011

माँ की भीगे चुनरिया.. : Sanjay Mehta, Ludhiana













माँ की भीगे चुनरिया..

सावन की बरसे बदरिया.. माँ की भीगे चुनरिया..
भीगी चुनरिया माँ की भीगी चुनरिया..

लाल चुनड माँ की, चम चम चमके..
माथे की बिंदिया भी, दम - दम दमके..
हाथो मे झलके मुन्द्रिया, माँ की भीगी चुनरिया..
सावन की बरसे बदरिया.. माँ की भीगे चुनरिया..

छाई हरियाली, झूमे अमवा की डाली,
होके मतवाली कूके, कोयलिया काली..
बादल  मे कड़के बिजुरिया, माँ की भीगी चुनरिया..
सावन की बरसे बदरिया.. माँ की भीगे चुनरिया..

ऊचा भवन हे तेरा, ऊचा हे डेरा..
कैसे चदु ऊपर , पाँव फिसले हे मेरा..
टेडी -मेडी हे डगरिया, माँ की भीगी चुनरिया..
सावन की बरसे बदरिया.. माँ की भीगे चुनरिया..

काली घटा पानी भर भर के लाई,
झुला झूले हे, वैष्णो माई..
भगतो पे माँ की नजरिया..माँ की भीगी चुनरिया..
सावन की बरसे बदरिया.. माँ की भीगे चुनरिया..



Sanjay Mehta


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