रविवार, 5 जून 2011

राम रस बरस्यो रे , आज मेरे अंगना मे..: By Sanjay Mehta, Ludhiana












आज मेरे अंगना मे..

राम रस बरस्यो रे , आज मेरे अंगना मे..
नाम रस बरस्यो रे.. आज मेरे अंगना मे..

जाग गये मेरे सोये सपने,
सभी पराये हो गये अपने..
लगे प्रेम की माला जपने..
तन-मन हर्षयो रे, आज मेरे अंगना मे..
राम रस बरस्यो रे..

झुनक-झुनक मेरी पायल बाजे..
आज राम सखी मेरे घर आये..
कहा बिठाऊ.. कुछ समझ ना आये..
ठौर कोई करियो रे, आज मेरे अंगना मे..
राम रस बरस्यो रे..

धरती नाची, अम्बर नाचा,
आज देवता भी हे नाचा..
मै नाची जग सारा नाचा..
अंग - अंग हर्षयो रे, आज मेरे अंगना मै..
राम रस बरस्यो रे..

युग-युग के ये नयन प्यासे..
अंतर मन मै राम बिराजे..
प्रेमी को तो प्रीत ही साजे..
भूत दिन तरस्यो रे, आज मेरे अंगना मे..
राम रस बरस्यो रे..


Sanjay Mehta


कोई टिप्पणी नहीं: