शनिवार, 4 जून 2011

दुर्गा भवानी आई रे..







दुर्गा भवानी आई रे..

दुर्गा भवानी आई रे, देवी दुर्गा..
आई सिंह पे सवार, छाया तेज बेशुमार..
खुशिया हजारो लाई रे.. देवी दुर्गा...

तुने ही महिषासुर मारा, मधु-केटभ को तुने पछाड़ा..
पहने मुंडो की माला.. क्रोध की भड़के ज्वाला..
रूप अनोखा पाई रे..
देवी दुर्गा..

देवो के दुखो को टारे, शुम्भ -निशुम्भ दनुज संघारे..
तेरी ना सानी हे, दुनिया ने मानी हे, महिमा सभी ने गाई रे..
देवी दुर्गा..

जो कोई द्वारे तुम्हारा आया, मुह माँगा सब ही ने पाया..
पल मे भंडार भर दे, तू जो चाहे कर दे, पर्वत को भी राई रे..
देवी दुर्गा..

तुम ही हो माँ जग की जननी , आस लगी चरणन की..
दुखो ने घेरा हे, जीवन ये मेरा हे, दिल मे उदासी छाई रे..
देवी दुर्गा..




Sanjay Mehta



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