सोमवार, 27 जून 2011

है वो देव निराला..:Sanjay Mehta, Ludhiana









है वो देव निराला..

डमरू बजाये, अंग भस्म रमाये और ध्यान लगाये किसका..
ना जाने वो डमरू वाला, ना जाने वो डमरू वाला
सब देवो मे... सब देवो मे.. है वो देव निराला

मस्तक पर चंदा, ओ जिसकी जटा मे है गंगा
रहती पार्वती संग मे, सवारी है बुडा नंदा..
वो कैलाशी , है अविनाशी, पहने सर्पो की माला..
डमरू बजाये

बाघम्बर धारी, वो भोला शम्बू त्रिपुरारी
रहता मस्त सदा, जिसकी महिमा है न्यारी
हे शिवशंकर, हे प्रलयंकर , रहता सदा मतवाला...
डमरू बजाये


'संजय मेहता' गाए, शिव शम्भू को ध्याये
जो भी मांगे सो पाए, दर से खाली ना जाये..
बड़ा है दानी, बड़ा है ज्ञानी , सरे जग का रखवाला..
डमरू बजाये


Sanjay Mehta
Jai Mata di G





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