शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है : Lal Chunriya Od ke Bethi Maa : Sanjay Mehta Ludhiana










लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है


दर पे इसके जो भी आता कभी न खाली लौटा है
भर जाता खुशियों से जो भी मन मे होता है
बिन मांगे दे देती सब कुछ मैया ज्योता वाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है

दर पे जो आये उस पर लुटाती अपनी ममता है
शहंशाह हो या हो फकीर रखती माँ सब मे समता है
सब को एक बराबर समझे मैया कांगडे वाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है



दर पे जो भी आ जाये उसकी बिगड़ी है बन जाती
करती माँ रखवाली सबकी हर विपिता है कट जाती
कष्ट भी सरे हर लेती ये माँ कलकते वाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है


दर पे जो भी आ जाये उसका माँ रखती ख्याल है
संजय मेहता जैसे पर भी हो जाती मैया दयाल है
अपनी शरण मे रख लेती मैया ये भोली भाली है
मेहरा ये बरसाए सब पर मैया मेहरां वाली है
लाल चुनरिया ओड़ के बैठी मैया भद्रकाली है





कोई टिप्पणी नहीं: