शनिवार, 26 नवंबर 2011

श्री शनि देवी स्त्रोत








श्री शनि देवी स्त्रोत


जिनके शरीर वर्ण कृष्ण , नील तथा भगवन शंकर के समान है, उन शनिदेव को नमस्कार है. जो जगत के लिए कालाग्नि एवं क्र्तांतरूप है , उन शनैश्चर को बारम्बार नमस्कार है. जिनकी दाढ़ी - मूछ और जटा बड़ी हुई है, उन शनिदेव को प्रणाम है. जिनके बड़े - बड़े नेत्र , पीठ मे सटा हुआ पेट और भयानक आकर है , उन शनैश्चर देव को नमस्कार है. जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोंए बहुत मोटे है , जो लम्बे-चौड़े किन्तु सूखे शरीर वाले है तथा जिनकी दाढे काल रूप है, उन शनिदेव को बारम्बार प्रणाम है .. शने! आपके नेत्र खोखले के समान गहरे है, आपकी और देखना कठिन है, आप घोर , रौद्र , भीषण और विकराल है. आपको नमस्कार है. बलीमुख! आप सब कुछ भक्षण करने वाले है; आपको नमस्कार है, सुर्यनंदन! भास्करपुत्र! अभय देनेवाले देवता ! आपको प्रणाम है! नीचे की और दृष्टि रखने वाले शनिदेव! आपको नमस्कार है, संवर्तक ! आपको संजय मेहता का प्रणाम है, मंदगति से चलने वाले शनैश्चर! आपका प्रतीक तलवार समान है . आपको पुन:-पुन: प्रणाम है. आपने तपस्या से अपने देह को दग्ध कर दिया है; आप सदा योगाभ्यास तत्पर , भूख से आतुर और अत्रप्त रहते है! आपको सदा - सर्वदा नमस्कार है! ज्ञाननेत्र ! आपको प्रणाम है! कश्यप्नंदन सूर्य के पुत्र शनिदेव ! आपको नमस्कार है! आप संतुष्ट होने पर राज्य दे देते है और रुष्ट होने पर उसे तत्क्षण हर लेते है! देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर और नाग - ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते है. देव! मुझपर प्रसन्न होइए ! मै संजय मेहता वर पाने के योग्य हु और आपकी शरण आया हु...

शनिदेव ने कहा : देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध , विद्याधर तथा राक्षस - इनमे से किसी के भी मृत्यु , स्थान, जन्मस्थान अथवा चतुर्थ स्थान मे रहू तो उसे मृत्यु का कष्ट दे सकता हु. किन्तु जो श्रधा से युक्त , पवित्र और एकाग्रचित हो मेरी लोहमयी सुंदर प्रतिमा का शमीपत्रों से पूजन करके तिलमिश्रित उड़द - भात , लोहा, काली गौ या काला वर्षभ ब्राह्मण को दान करता है तथा विशेषत: मेरे दिन को इस स्त्रोत्र से मेरी पूजा करता है, पूजन के पश्चात भी हाथ जोड़कर मेरे स्त्रोत्र का जप करता है , उसे मै कभी भी पीड़ा नहीं दूंगा गोचर में जन्मलग्न में , दशाओं तथा अन्तेर्द्शाओ में ग्रह - पीड़ा का निवारण करके मै सदा उसकी रक्षा करूँगा ! इसी विधान से सारा संसार पीड़ा से मुक्त हो सकता है.
जय माता दी जी
जय मेरी माँ राज रानी की जय
जय मेरी माँ वैष्णोदेवी की जय
जय जय शनिदेव
हर हर महादेव







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