शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

तेरे मंदिरो में अमृत बरसे: Tere Mandiro Me Amrit Barse : Sanjay Mehta Ludhiana










तेरे मंदिरो में अमृत बरसे , माँ तेरे मंदिरो में
तेरे भक्तो के मन की प्यास बुझी
अब रूह किसी की ना तरसे माँ
तेरे मंदिरो में अमृत बरसे , माँ तेरे मंदिरो में

भक्ति के सागर में भक्तो ने आज लगाए गोते
इस अमृत में नहा के कागा हंस है दिन में होते
वो लोग बड़े ही बदकिस्मत, जो आज ना निकले घर से माँ
तेरे मंदिरो में अमृत बरसे , माँ तेरे मंदिरो में

नाम रस की इस धारा में , आत्मा है जब बहती
जग की नश्वर चीजो कि फिर तलब उसे न रहती
कही और ये मस्ती मिलती नहीं , जो मिलती है तेरे दर से माँ
तेरे मंदिरो में अमृत बरसे , माँ तेरे मंदिरो में

इन छींटो से जन्म - जन्म की मैल सभी धूल जाती
मिट जाता अन्धकार दिलो का आँखे है खुल जाती
शैतान भी साधू बनते सुने है, तेरे नाम की मस्त लहर से माँ
तेरे मंदिरो में अमृत बरसे , माँ तेरे मंदिरो में
जय माता दी जी








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