आप कोई भी अच्छा काम करते है तो वह यज्ञ है। अग्नि में आहुति देने से ही यज्ञ होता है, ऐसा नहीं है। परमात्मा प्रसन्न हो सके, ऐसा कोई भी कार्य करिए तो वह यज्ञ ही है। प्रभु प्रसन्न हुए कि नहीं ऐसा जानने की युक्ति है। जो काम करते है, उसके पूर्ण होने पर आपको आनंद की अनुभूति होती है। आपका मन प्रसन्न रहता है, शांत रहता है तो मानिए की परमात्मा प्रसन्न है और जो काम करने पर मन चंचल हो, अशांत हो, खिन्न हो, भीतर से उद्वेग हो तो मानिए की प्रभु नाराज है।
जय माता दी जी
जय माँ दुर्गे
जय माँ राज रानी
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Sanjay Mehta
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