कड़क -कड़कके कृपान करमें करके,
ले करके शोणित-चषक दौड़ती आ माँ!
मुख मोडती आ मानियों का अभिमानियोंका,
छलबलियोंका छल -बल तोड़ती आ माँ!
जोड़ती आ अंबरलौं अंबरका और छोर,
क्रांतिका रँगीला आग-राग छोडती आ माँ!
फोड़ती आ कपट कटाह क्रूरों क्रोधियोंका
जगमग जागृतिकी ज्योति जोड़ती आ माँ!
जय माता दी जी
जय माँ दुर्गे
जय माँ वैष्णवी
जय माँ राज रानी
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Sanjay Mehta
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