ध्यान
उनकी कांति ऐसी है मानो जपाकुसुम हो। प्रात:कालीन सूर्य के समान अरुण कांति से वह शोभा पा रही है। द्वितीय के चन्द्रमा उनके मुकुट में विद्यमान है। वे वर, पाश, अंकुश और अभयमुद्रा धारण किये है। उनके सभी अंग अत्यंत मनोहर है। कोमल लता की भाँती शोभा पानेवाली वे भगवती शिवा है। भक्तो के लिए वे भगवती जगदम्बा कल्पवृक्ष है। अनेक प्रकार के भूषण उनकी शोभा बढ़ा रहे है। तीन नेत्रोवाली वे देवी अपनी वेणी में चमेली की माला धारण के कारन अत्यंत शोभा पा रही है। उनकी चारो दिशाओ में वेद मूर्तिमान होकर उनका यशोगान कर रहे है। उन्होंने अपने दांतों की आभा से वहां की भूमि को इस प्रकार उज्ज्वल बना दिया है मानो पद्मराग बिछा हो। उनका प्रसन्न मुख करोड़ो कामदेवों के समान सुंदर है। वे लाल रंग के वस्त्र पहने है। और उनका श्री विग्रह रक्तचंदन से चर्चित है। वे हिमालय पर प्रकट होनेवाली 'उमा' नाम से विखात कल्याण-स्वरूपिणी भगवती जगदम्बा है। बिना ही कारण करुणामयी वे देवी सम्पूर्ण कारणों की भी कारण है। उनके दर्शन करते ही संजय का अंत:कर्ण प्रेम से गदगद हो जाता है। आँखों में प्रेमाश्रु और शरीर में रोमांच हो जाता है। भगवती जगदीश्वरी के श्री चरणों में संजय का दंडवत प्रणाम।
जय माता दी जी
जय जय माँ
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Sanjay Mehta
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