सोमवार, 17 दिसंबर 2012

प्राचीन गुफा में मिलने वाले अन्य धार्मिक चिन्हों के दर्शन: Sanjay Mehta Ludhiana








प्राचीन गुफा में मिलने वाले अन्य धार्मिक चिन्हों के दर्शन:-


गुफा में प्रवेश द्वारा अत्यंत संकरा है। आगे बढ़ने पर चरणगंगा के जल की शीतल धारा में चलते हुए धीरे -धीरे अग्रसर होना पड़ता है। गुफा का मार्ग भी अत्यंत संकरा और कठिन है। यदि बिजली अथवा अन्य रौशनी ना हो तो उसमे कई यात्री, विशेषत: बाल यात्री, बेचैनी अनुभव-करने लगते है। माता की कृपा से भजन-कीर्तन करते, जयकारे लगाते हुए यात्रियों की अंतहीन कतार आगे बढती रहती है। चरणगंगा की धारा के वाम भाग में एक प्रक्रितक शिलाखण्ड भी साथ-साथ आगे तक गया है। इस शिलाखण्ड पर क्रम से पहले पांडवों की प्रतीक पांच पिंडियाँ , फिर सप्तऋषियों की प्रतीक सात पिंडियों तथा इसके बाद एक प्राक्रतिक खम्भा बना है, जिसे प्रहलाद का तप्त स्तम्भ अथवा तत्ता थम्म कहते है। कुछ और आगे बढ़ने पर शेर का पंजा तथा शेर का मुख बना हुआ है। इस स्थान से कुछ थोडा सा आगे, जहाँ पर नई गुफा का द्वार है, गुफा की छत पर शेषनाग की प्राक्रतिक मूर्ति है। शेषनाग की आकृति , उसके अनेक मुख तथा अन्य छोटे-छोटे सांपों की आकृतियाँ आश्चर्य में डाल देने वाली है।
अब कहिये जय माता दी
फिर से कहिये जय माता दी
जय मेरी माँ राज रानी की
जय माँ दुर्गा देवी की
जय माँ वैष्णो देवी की
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Sanjay Mehta









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