बुधवार, 5 दिसंबर 2012

"माँ" Maa : Sanjay Mehta Ludhiana









"माँ" शब्द में कितना प्रेमामृत भरा हुआ है इसका वर्णन नहीं किया जा सकता पुत्र जब अपनी माँ को 'माँ' 'माँ' कहकर पुकारता है तब माता का ह्रदय प्रेम से भर आता है . ऐसे ही भक्तजन जब 'माँ' 'माँ' कहकर अपने उपास्य देव को पुकारते है तब उनके ह्रदय में एक दिव्या आनंद की धारा बहने लगती है। इसको सभी प्रत्यक्ष उपलब्ध कर सकते है। एक भक्त ने कहा है 'माता' मै तुम्हे माँ-माँ कहकर इतना पुकारता हु परन्तु तू अभी तक सामने नहीं आती। इसका क्या कारण है? 'माँ' शब्द मेरे ह्रदय को बहुत प्रिय है और मेरी माता को भी अत्यधिक प्रिय है , जब मै 'माँ' कहकर पुकारता था वह गद्गद हो जाती थी। माता! तुझको भी मालूम होता है 'माँ' शब्द अत्यन्त प्रिय है। इससे तू सोचती होगी की इस बच्चे के पास यदि मै प्रकट हो जाउंगी तो शायद यह 'माँ' की आवाज लगाना बंद कर देगा। शायद भय से और 'माँ' की आवाज सुनाने के लोभ से ही तू नहीं आती माँ। यह सब पुजारी के भाव है।
जय माता दी जी

www.facebook.com/groups/jaimatadig
www.facebook.com/jaimatadigldh
www.jaimatadig.blogspot.in
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
♥♥ (¯*•๑۩۞۩:♥♥ ......Jai Mata Di G .... ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)♥♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
Sanjay Mehta

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=329735720468045&set=o.210519095644273&type=1&theater








कोई टिप्पणी नहीं: