शनिवार, 15 दिसंबर 2012

माता महासरस्वती की पिण्डी : Mata Mahasarawati Ki Pindi : Sanjay Mehta Ludhiana








माता महासरस्वती की पिण्डी

गुफा में तीसरी पिंडी महासरस्वती की है महाशक्ति के तीसरे प्रमुख रूप का नाम महासरस्वती है। परब्रह्म परमात्मा से सम्बन्ध रखने वाली यह वीणा की अधिष्ठात्री, कवियों की इष्ट देवी, शुद्ध स्त्वस्वरूपा और शान्तरुपिनी है
वाणी, विद्या बुद्धि और ज्ञान को प्रदान करने वाली भी यही देवी है। अत: वाणी में श्रेष्ठता विध्याओ और कलाओं में निपुणता, बुद्धि में विलक्षणता और घ्यान में विविधता के लिए इनकी कृपा आवश्यक है।
माँ सरस्वती का शरीर अत्यंत गौर वर्ण का है।
ये अत्यंत सुंदर और तेजस्वी है।
इनका शरीर तेज की आभा से इतना कान्तिमान रहती है कि करोड़ चंद्रमाओ की आभा भी उसके सामने तुच्छ प्रतीत होती है।
माता का मुख चन्द्रमा, नयन शरत्काल के खिले हुए कमलों के समान और दांत कुंद पुष्प की कलियों के समान है।
ये उज्ज्वल वस्त्र धारण करती है तथा विविध प्रकार के रत्नों से निर्मित अलंकारों से शोभायमान है। महासरस्वती श्रुतियों, शास्त्रों और सम्पूर्ण विधाये और कलाये इनका स्वरूप है, प्रत्येक मनुष्य को बुद्धि, विद्या, कविता करने की शक्ति, नाटक-उपन्यास और अन्य प्रकार की साहित्य रचना के लिए प्रतिभा, योग्यता और स्मरण-शक्ति इन्ही की कृपा से प्राप्त होती है।
अनेक प्रकार के सिद्धांत-भेदों और अर्थो की कल्पना शक्ति भी यही देने वाली है। इनकी कृपा से शास्त्र और ज्ञान सम्बन्धी भ्रम और संदेह मिट जाते है। कुछ व्यक्ति विद्वान बनकर नये-नये विचारों और नये-नये ग्रंथो की रचना में सफल होते है।
मनुष्य को स्मरण-शक्ति प्रदान करने वाली माता सरस्वती को स्मृति शक्ति, ज्ञानशक्ति और बुद्धि शक्ति कहा गया है, प्रतिभा और कल्पना शक्ति भी यही है।
इन्ही की दया से ब्रह्मा, शेषनाग, ब्रहस्पति, बाल्मीकि, व्यास आदि वेद -शास्त्र, स्मर्तियाँ इतिहास, पुराण और काव्य रचना में समर्थ हुए।
सरस्वती देवी के एक हाथ में पुस्तक और दुसरे हाथ में वीणा है, जो इनके विद्या और संगीत कला की देवी होने का संकेत देते है।
सभी प्रकार की विद्याओ , सभी प्रकार के गीत-संगीत, सभी प्रकार के न्रत्य और नाटको में आराधना करने पर वे सफलता प्रदान करती है। क्योकि सम्पूर्ण संगीत और लय तथा ताल का हेतु रूप-सौन्दर्य है।
ब्रेह्मस्वरुपा ज्योतिस्व्रुपा, सनातनी और सम्पूर्ण कलाओं की स्वामिनी होने के कारण माता महासरस्वती, ब्रह्मा , विष्णु , शिव आदि देवताओं और ऋषि-मुनि, मानव आदि से सुपूजित है।
श्रीहरि की प्रिय होने के कारण ये रत्ननिर्मित माला फेरती हुई श्रीहरि के नाम का जाप करती रहती है।
इनकी मूर्ति तपोमयी है।
तपस्या करने वाले अपने भक्त को ये तत्काल फल प्रदान करती है। सिद्धि विद्या सर्वागिणी होने के कारन ये सिद्धि देने वाली है।
अब बोलिए माँ सरस्वती की जय
जय माँ वैष्णो देवी की
जय माँ राजरानी की
जय माँ दुर्गा देवी की
हर हर महादेव

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Sanjay Mehta










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