बाण गंगा का मंदिर व् पुल -- कन्या रूपी महाशक्ति जब उक्त स्थान से होकर आगे बढ़ी तो उसके साथ वीर लांगुर भी था , चलते - चलते वीर लांगुर को प्यास लगी तो देवी ने पत्थरों में बाण मारकर गंगा प्रवाहित कर दी और अपने प्रहरी की प्यास को त्रप्त किया। उसी गंगा में देवीने अपने केश धोकर संवारे इसलिए इसे बाण गंगा भी कहते है।
यह स्थान कटरा से 2 किलोमीटर और पिछले दर्शनी दरवाजा नमक स्थान से एक किलोमीटर है। एक पुल द्वारा इस गंगा को पार कर आगे बढ़ते है। समीप ही मंदिर है। अधिकांश लोग यहाँ स्नान भी करते है, यही से सीढियों वाला पक्का मार्ग भी आरम्भ हो जाता है। वास्तव में यहाँ से त्रिकुट पर्वत की कठिन चढ़ाई प्रारम्भ होती है।
अब कहिये जय माता दी
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Sanjay Mehta
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