माता महाकाली की पिंडी
गुफा में दूसरी पिंडी महाकाली की है। महाकाली महाशक्ति का प्रधान अंग है। शुम्भ और निशुम्भ के साथ होने वाले सहासमर के समय में ये भगवती दुर्गा के ललाट से प्रकट हुई थी।
भगवती दुर्गा का इन्हें आधा अंश माना जाता है।
गुण और तेज में ये दुर्गा के ही समान है।
इनका अत्यंत शक्तिशाली शरीर करोड़ो सूर्य के समान तेजस्वी है। सम्पूर्ण शक्तियों में ये प्रमुख है, और इनसे बढ़ कर कोई शक्तिशाली है ही नहीं
ये प्रयोग-स्वरूपिणी, सम्पूर्ण सिद्धि प्रदान करने वाली है। श्रीहरि के तुल्य है।
इनके शरीर का रंग काला है। और इतनी शक्तिमान है कि यदि ये चाहे तो एक ही समय में सारे विश्व को नष्ट कर सकती है
अपने मनोरंजन के लिए अथवा जनता को शिक्षा देने के विचार से ही ये संग्राम में असुरों के साथ युद्ध करती है, जो भी मनुष्य महाकाली भगवती की पूजा करता है, उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष तथा अन्य सांसारिक सम्पत्तियां प्राप्त होती है।
ब्रह्मादि देवता, मुनिगण और मानव सब इनकी उपासना करते है
महाकाल भगवन शिव का एक नाम है उनकी शक्ति होने के कारण इनको भी महाकाली कहा जाता है। ये देवी नीलकमल की भांति श्याम है .
चार हाथ, गले में मुंड-माला और चोला व्याघ्र के चर्म का है, इसके दांत लम्बे, जिह्वा चंचल, आँखे लाल, कान चौड़े तथा मुख खुला हुआ है।
भद्रकाली, शमशान काली, गुह्याकाली और रक्षाकाली आदि नामों से इनके अनेक रूप है। इनका एक अन्य प्रसिद्ध नाम चामुण्डा है। इन्होने असुरो के साथ होने वाले युद्ध में चंड -मुंड नामक दो महाअसुरों का संहार किया
अत: इनको चामुंडा भी कहा जाने लगा
माता महाकाली संसार की देवी है .
अधर्मी दुष्टों का संहार करके अपने भक्तो को अभय प्रदान करना इनका मुख्या धर्म है
अपने भक्तो के विघ्न , रोग, शोक, दुःख, भय आदि को ये दूर करती है।
माता महाकाली महातेजसिविनी है।
उनकी मूर्ति साक्षात वीरता, साहस, एश्वर्या, रूप, तेज और अलौकिक शक्ति की प्रतीक है। उनके दस हाथो में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ , तिशुल, भूशुंडी, सिर और शंख है।
उनके तीन नेत्र है। सारे अंग आभुशनो से सुशोभित है। उनकी कांटी नीलमणि के समान है, वे सदा अपने भक्तो की संकटों से रक्षा करके भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है।
मधु-कैटभ द्वारा संकट ग्रस्त होने पर इन्होने ब्रह्मा और विष्णु को भयमुक्त किया था इनकी कृपा से मानव निर्भय हो जाता है। युद्ध में उसे कोई पराजित नहीं कर सकता। अकाल मृत्यु नहीं होती और व्याधियाँ आक्रमण नहीं करती।
उसे ग्रह, भूत, प्रेत पिशाच आदि नहीं सता सकते जो मनुष्य भक्ति-भावना से माता महाकाली की उपासना करता है, उसके शत्रुओं का नाश होता है तथा उसे सौभाग्य, आरोग्य और परम मोक्ष की प्राप्ति होती है
बोलिए मेरी माँ काली की जय
बोलिया दुर्गा माँ की जय
बोलिए मेरी माँ राज रानी की जय
जय माता दी जी जय माता दी
हर हर महादेव
www.facebook.com/groups/jaimatadig
www.facebook.com/jaimatadigldh
www.jaimatadig.blogspot.in
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
♥♥ (¯*•๑۩۞۩:♥♥ ......Jai Mata Di G .... ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)♥♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
Sanjay Mehta
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें