सोमवार, 4 जुलाई 2011

शिवभगत: shivbhagt: Sanjay Mehta, Ludhiana









शिवभगत
भगत एक शिव का चला शिव को रिझाने के लिए..
शिव को रिझाने के लिए, शिव को मनाने के लिए..

एक लोटा जल लीया, और ले लिए फल फूल भी..
चल दिया मंदिर के लिए, शिव पर चडाने के लिए..
भगत एक शिव का चला..

पहंचकर मंदिर मे उसने, शिव के दर्शन कर लिए
और मुख उपर किया, घंटा बजाने के लिए..
भगत एक शिव का चला..

देखकर सोने का घंटा, पाप दिल मे आ गया..
हो गया तैयार फिर, घंटा चुराने के लिए..
भगत एक शिव का चला..

जब कोई युक्ति ना पाई, हाथ ना पौह्चा वहा..
चढ़ गया खुद शिव पे वो, करनी कमाने के लिए..
भगत एक शिव का चला..

देखकर ये दृश्य शंकर, खुश हुए भगत पर
आ गये फिर वो वहां, दर्शन दिखाने के लिए..
भगत एक शिव का चला..

भगत तो मुझ पर चडाते , फूल फल और पत्तिया
तुम तो खुद ही चढ़ गये, मुझको रिझाने के लिए..
भगत एक शिव का चला..

दे दिया सोने का घंटा, प्रभु ने फिर उस भगत को..
भगत चरणों मे गिरा, चरणों को पाने के लिए
भगत एक शिव का चला..

Sanjay Mehta
Jai Mata di G









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