एक दिन कान्हा शोर मचाये, पेट पकड़ चिल्लाये..
अरे क्या हो गया है, अरे क्या हो गया है..
भामा रुक्मण समझ ना पाए, कैसे रोग मिटाए..
अरे क्या हो गया है, अरे क्या हो गया है..
पूछे है दोनों रानी, पीड़ा मिटेगी कैसे सांवरे
नैनो मे भरकर पानी, बोले बचूंगा नहीं आज रे..
चरणों को धोकर जल ले आओ, लाकर मुझे पिलाओ..
अरे क्या हो गया.....
ऐसा ना होगा हमसे, कहने लगी वो दोनों रानिये
पैरो को धोकर अपने, कैसे पिलाये अपना पानी ए,
जब तक सूरज चाँद गगन मे, होगा ना पाप हमसे...
अरे क्या हो गया.....
नारद से बोले कान्हा, अब तो हुआ है बुरा हाल रे..
राधा से जाकर कह दो, अपने कन्हैया को सम्भाल रे..
आज अगर वो जल ना लाओ , बाद मे पछताए..
अरे क्या हो गया.....
सोचो वो प्रेम दीवानी, प्रेम का यही दस्तूर है
प्राण बचे मोहन के , नर्क मे जाना मंजूर है..
झट से अपने चरण धुलाये, लौटा दिया थमाय
अरे क्या हो गया.....
धन्य वो राधा रानी, प्रीत निभाई तुमने प्यार की
प्रीत मे राधा रानी, खुशिया मिली है तुम्हे जीत की..
'संजय' कहे कान्हा मुस्काए.. रानी खड़ी ना जाये...
अरे क्या हो गया.....
संजय मेहता
जय माता दी जी <3 <3
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