श्री शिव और श्री राम - नाम
पद्मपुराण(उत्तर खण्ड, अध्याय ७२ , श्लोक ३३४ ) में यह कथा है
एक दिन पार्वती जी ने महादेव जी से पूछा -'आप हरदम क्या जपते रहते है ?'
उत्तर में महादेव जी ने विष्णु सहस्रनाम कह गये।
अंतमे पार्वती जी ने कहा 'ये तो एक हजार नाम आपने कहे। इतना जपना तो सामन्य मनुष्य के लिए असम्भव है। कोई एक नाम कहिये जो सहस्त्रो नामोके बराबर हो और उनके स्थान में जपा जाए '
इस पर महादेवजी जे कहा -
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने । ।
राम राम शुभ नाम रटि, सबखन आनंद - धाम
सहस नाम के तुल्य है , राम नाम शुभ नाम
फिर इसी पुराण के उत्तर खण्ड अध्याय २७० श्लोक ४० में शिवजी श्री राम जी से कहते है
मरने के समय मणिकार्णिका -घाट पर गंगा जी में जिस मनुष्य का शरीर गंगाजल में पड़ा रहता है उसको मै आपका तारक-मात्र देता हु जिससे वह ब्र्हम में लीन हो जाता है अब कहिये जय माता दी जी
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