बुधवार, 8 जनवरी 2014

चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए : Sanjay Mehta Ludhiana










महाभारत में एक कथा है। भीष्म जी ने प्रतिज्ञा की कि कल मै अर्जुन का वध करूँगा। भीष्माचार्य की प्रतिज्ञा व्यर्थ नहीं हो सकती . पाण्डवसेना में हाहाकार मच गया . अर्जुन तो नित्य नियमानुसार भगवत-चिंतन करते हुए सो गए। श्री कृष्ण को चिंता होने लगी कि कल मेरे अर्जुन का क्या होगा ? वे अर्जुन से मिलने आये। अर्जुन तो सोये हुए थे। श्री कृष्ण ने उन्हें जगाकर पूछा कि तुम सो कैसे रहे हो ? तुम्हे आज नींद कैसे आ रही है ? तो अर्जुन ने कहा कि मेरे लिए जब आप सवयं जागरण कर रहे है तो मुझे क्या चिंता हो सकती है ? मैंने अपना कर्त्तव्य निभा लिया , अब आपको अपना कार्य निभाना है। मनुष्य का कर्त्तव्य है अनन्य शरणागति मनुष्य को चिंता नहीं चिंतन करना चाहिए। जय माता दी जी। । जय श्री कृष्णा









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