शनिवार, 25 जनवरी 2014

शरणागत : Sharnagat : Sanjay Mehta Ludhiana








शरणागत


जिधर देखता हुँ भोले बाबा पाता हुँ तुमको ही मुस्काते
आँखों में आकर बैठे हो , भोले बाबा पास क्यों नहीं आते
हो जाता हूँ मै वियोग में , जब विक्षिप्त व्याकुल सा
तब आप भोले बाबा पास क्यों नहीं आकर समझाते?
घूँट आंसुओ के पी-पीकर रहता हु मै प्यासा
भोलेबाबा प्रेमामृत क्यों नहीं पिलाकर, मेरी प्यास बुझाते ?
क्षुधा-गर्सित मै कबसे आगे, हाथ पसार रहा हुँ
दया दृष्टि की भूख भोले बाबा क्यों करके नहीं मिटाते ?
भूखा - प्यासा मै विक्षिप्त हुँ , आया भोले बाबा शरण तुम्हारे
तब भी क्यों मुझको "संजय" नाथ ! नहीं अपनाते ?

हर हर महादेव . जय जय माँ जय जय माँ










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