शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

मित्रर्ता By Sanjay Mehta Ludhiana











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▒▓▓ तुम्हारे जीवन में ऐसा भी प्रसंग आ सकता है कि ▒▓▓
▒▓▓ तुम जिस मनुष्य के साथ अधिक प्रेम करते हो ,, ▒▓▓
▒▓▓ वह भी किसी दिन तुम्हारे साथ धोखा कर देगा .. ▒▓▓
▒▓▓ प्रारम्भ के अनुसार जिव का स्वभाव भी बदलता . ▒▓▓
▒▓▓ है, तुम्हारा और उसके लेन-देन का सम्बन्ध पूरा ▒▓▓
▒▓▓ होने पर यह जो कुछ करेगा वह तुमको भला नहीं .. ▒▓▓
▒▓▓ लगेगा.. तुम्हारी इसके प्रति अरुचि हो जाएगी....... ▒▓▓
▒▓▓ जिसके लिए तुम बहुत आशापूर्ण रहते हो कि यह ..▒▓▓
▒▓▓ मेरे उपयोग में आवेगा, मेरा काम करेगा. मेरे साथ .▒▓▓
▒▓▓ रहेगा, मेरी भलाई की बात बोलेगा -ऐसा तुम्हारा .. ▒▓▓
▒▓▓ स्नेही सादारण से किसी कारण पर तुम्हारा शत्रु ... ▒▓▓
▒▓▓ जैसा हो जायेगा. शास्त्र में लिखा है कि जो मित्र......▒▓▓
▒▓▓ नहीं, वह यदि शत्रु हो जाये तो बाधा नहीं, परन्तु ....▒▓▓
▒▓▓ जो मित्र है वह यदि शत्रु बन जाता है तब बहुत ......▒▓▓
▒▓▓ रुलाता है, अब बोलिए जय माता दी जय जय माँ. ▒▓▓
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Sanjay मेहता









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