शनिवार, 4 अगस्त 2012

भगवान कृष्ण नील वर्ण के क्यों हैं : Bhagwan Krishn Neel Vrn Ke Kyu Hai? By Sanjay Mehta Ludhiana








भगवान कृष्ण नील वर्ण के क्यों हैं

जब भी हम भगवान कृष्ण या राम चन्द्र जी के दर्शन करते है तो अक्सर मन में ये बात आती है कि भगवन कृष्ण नील वर्ण के क्यों हैं ?'भगवान ने गीता में स्वयं ही कहा है हे अर्जुन एक मेरा शरणागत हो जा में हर पाप से मुक्ति दूँगा शोक न कर मेरी भक्ति में खो जा'' संत कहते है कि जब कोई भक्त भगवान के पास जाता है और अपने आप को उन्हें समर्पित कर देता है तो भगवान उसके समस्त पापों को ले लेते है.और पाप का स्वरुप काला है. जब कोई भक्त भगवान को अपने पाप देता है तो पाप का अस्तित्व रखने के लिए भगवान कुछ काले हो गए.जैसे भगवान शिव जी ने जब समुद्र मंथन से निकले विष को पिया और उसे गले में धारण कर लिया तो विष के अस्तित्व रखने के लिए उसकी मर्यादा के लिए उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ हो गए उनका एक नाम नीलकंठेश्वर हो गया.कही कही ऐसा भी कहते है कि जल समुह अथाह अनंत गहराइयों और विस्तार को लिए हुए होता है तब उसमे नीलिमा झलकती है. ऐसे ही निर्मल प्रेम के सागर श्री कृष्ण, आदि -अनंत विस्तार लिए हुए हैं. यही कारण है कि श्री कृष्ण नील वर्ण हैं.''राम के नीले वर्ण और कृष्ण के काले रंग के पीछे एक दार्शनिक रहस्य है। भगवानों का यह रंग उनके व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। दरअसल इसके पीछे भाव है कि भगवान का व्यक्तित्व अनंत है। उसकी कोई सीमा नहीं है, वे अनंत है। ये अनंतता का भाव हमें आकाश से मिलता है। आकाश की कोई सीमा नहीं है। वह अंतहीन है। राम और कृष्ण के रंग इसी आकाश की अनंतता के प्रतीक हैं.
भक्तजन कहते है कि जब भगवान ने कालिया का दमन किया तो उसके विष का मान रखने के लिए वे कुछ संवारे हो गए. यशोदा जी से जब बाल कृष्ण पूछते मैया! तु गोरी है,नंद बाबा भी गोरे है, दाऊ भी गोरे है,फिर मै क्यों काला हूँ ? तो यशोदा जी कहती लाला ! कि काली अन्धयारी रात में तेरा जन्म हुआ, रात काली है. इसलिए तु काला है तूने काली पद्मगंधा गाय का दूध पिया है. इसलिए काला है. भगवान का एक नाम है श्याम सुन्दर कितना प्यारा नाम है ,जो काले रंग को भी सुन्दर बना दे,श्याम अर्थात काला और सुन्दर.जो गोरा होता है उसे तो सभी सुन्दर कहते है,पर हमारे श्याम सुन्दर तो ऐसे है जो काले होने पर भी सुन्दर है.
अब बोलिए जय श्री राधे. जय माता दी जी . जय माँ राज रानी. जय माँ दुर्गे
आइये प्रेम से श्री हरिनाम महामंत्र का जाप करें कम से कम एक बार अवश्य लिखें-राधे-राधे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे -हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
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