सोमवार, 20 अगस्त 2012

लक्ष्मी जी का शिव-पूजन : Lakshmi g ka shiv Poojan By Sanjay mehta Ludhiana







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लक्ष्मी जी का शिव-पूजन


एक बार श्री विष्णु भगवान ने लक्ष्मी जी के सामने भगवान शंकर की बड़ी प्रशंसा की और कहा की मुझे एकमात्र शिव ही प्रिय है, दूसरा कोई नहीं, यही नहीं, उन्हों ने यहाँ तक कह डाला की शिव और मुझमे कोई भेद नहीं है और जो शिव की पूजा नहीं करते वे मुझे कदापि प्रिय नहीं है. भगवान के इन वचनों को सुनकर लक्ष्मी जी बड़ी खिन्न हुई और अपने को शिव्प्रन्ग्मुखी समझकर आत्म्ग्रेहना करने लगी, तब भगवान ने उनको सांत्वना देते हुए कहा की - देवि, सोच ना करो, मैंने तुम्हे शिव-पूजा में परीव्र्त करने की लिए ही यह सब बाते कही है. अब आज से तुम प्रितिदीन विधिपूर्वक शंकर की पूजा प्रारम्भ कर दो और उसमे कभी चुक ना पड़ने दो. ऐसा करने से तुम मुझे शंकर के समान ही प्रिय हो जाओगी
श्री लक्ष्मी जी ने पति की आज्ञा को मस्तक पर रख, नारद मुनि से दीक्षा ग्रेहनकर शिव-पूजा प्रारम्भ कर दी. पूजा के प्रभाव से उनकी दिनोदिन शंकर जी में भक्ति बढ़ने लगी और शंकर के साथ साथ वे भगवान की भी अतिशेय कृपा-पात्र बन गई
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Sanjay Mehta








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