रविवार, 19 अगस्त 2012

Shabri Mata Ji By Sanjay mehta Ludhiana







ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
♥♥ (¯*•๑۩۞۩:♥♥ ......Jai Mata Di G .... ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)♥♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ

परमात्मा के दर्शन करते - करते आँखों में आंसू आवे और प्रभु स्वरूप भी बराबर ना दिखे, उस दिन ही बराबर दर्शन होते है, दर्शन करते हुए आँखों में आंसू ना आवे तब तक बराबर दर्शन होते ही नहीं, सेवा करते समय हृदय पिघले और आँखों में से आंसू निकले तो मानना की सेवा की है.
शबरी जी रामजी के सम्मुख विराजी हुई थी. परन्तु आँख आंसुओ से भर जाने के कारण वह बराबर दर्शन नहीं कर सकती थी, परमात्मा आज मेरे घर पधारे और मै हीन जाती एक भीलनी.. मेरे घर भगवान पधारे. मेरे भगवान कैसे उदार है? इनका मै क्या स्वागत करू ? इनको मै क्या अर्पण करू?
शबरी ने बीन-बीनकर सुंदर बेर रख रखे थे. श्री रामचंद्र जी के लिए... तैयार करके रखे हुए वे फल शबरी जी ने रघुनाथ जी को निवदेन किये, बारम्बार वंदन करके कहा
महाराज!! मै तो हीन जाती की हु, अधम हु. मुझे कुछ भी आता नहीं. मुझे कोई ज्ञान नहीं, पुरे दिन मै बस "श्री राम श्री राम " करती हु. आपने मुझे अपनाया, इससे मै आज कृतार्थ हो गई. मेरी दूसरी कोई इच्छा नहीं. कोई सुख भोगने की तनिक भी इच्छा नहीं. बहुत वर्षो से एक ही सकल्प है, श्री राम आवेंगे, उन्हें मै अपनी आँखों से निहारु. मेरी आपके पास कोई याचना नहीं, मै तो सिर्फ आप के दर्शन करू. सिर्फ आप के दर्शन करू. जय श्री राम जय श्री राम
www.facebook.com/jaimatadigldh
www.facebook.com/groups/jaimatadig
Sanjay Mehta








कोई टिप्पणी नहीं: