सोमवार, 13 अगस्त 2012

सुदर्शन चक्र की कथा : Sudershan Chkr Ki Katha By Sanjay Mehta Ludhiana







सुदर्शन चक्र की कथा


एक बार शिवजी को प्रसन करने हेतु विष्णु जी ने बड़ा उग्र तप किया, उस समय उन्हों ने 'शिव सहस्त्रनाम -स्त्रोत ' के लिए शिवजी को अर्पित करने के अर्थ एक सहस्त्र कमल एकत्रित किये, शिवजी ने कौतुकवश एक कमल उन कमलो में से लुप्त कर दिया, जब सहस्त्रनाम उच्चारण समाप्त करने को हुए तो विष्णु जी को ज्ञात हुए की एक कमल कम है. बस उन्हों ने उसके स्थान पर अपना नेत्र निकलकर शिवजी को समर्पित कर दिया. फिर तो देवादिदेव ने प्रस्न हो विष्णु जी को दर्शन दिए और उनको उनके उन नेत्रों की जगह कमल-सरीखे नेत्र प्रदान किये, तभी तो विष्णु जी का नाम पुण्डरीकाक्ष पड़ा. सुदर्शन-चक्र भी उसी समय शिवजी ने विष्णु जी को दिया.
www.facebook.com/groups/jaimatadig
www.facebook.com/jaimatadigldh
Sanjay मेहता

जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाये . जय माता दी जी









कोई टिप्पणी नहीं: