शुक्रवार, 16 मार्च 2012

दुर्गा स्तुति बारहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti twelfth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana








दुर्गा स्तुति बारहवां अध्याय (चमन जी ) : durga stuti twelfth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana


द्वादश अध्याय में है माँ का आशीर्वाद
सुनो राजा तुम मन लगा देवी देव संवाद

महालक्ष्मी बोली तभी करे जो मेरा ध्यान
निशदिन मेरे नामो का जो करता है गान

बाधाये उसकी सभी करती हु मै दूर
उसके ग्रह सुख सम्पति भर्ती हु भरपूर

अष्टमी नवमी चतुर्दर्शी करके एकाग्रचित
मन कर्म वाणी से करे पाठ जो मेरा नित

उसके पाप व् पापो से उत्पन्न हुए क्लेश
दुःख दरिद्रता सभी मै करती दूर हमेश

प्रियजनों से होगा ना उसका कभी वियोग
उसके हर एक काम में दूँगी मै सहयोग

शत्रु, डाकू, राजा और शस्त्र से बच जाये
जल में वह डूबे नहीं न ही अग्नि जलाए

भक्ति पूर्वक पाठ जो पढ़े या सुने सुनाये
महामारी बिमारी का कष्ट ना कोई आये

जिस घर में होता रहे मेरे पाठ का जाप
उस घर की रक्षा करू मेट सभी संताप

ज्ञान चाहे अज्ञान से जपे जो मेरा नाम
हो प्रसन्न उस जीव के करू मै पुरे काम

नवरात्रों में जो पढ़े पाठ मेरा मन लाये
बिना यत्न कीने सभी मनवांछित फल पाए

पुत्र पौत्र धन धाम से करू उसे सम्पन्न
सरल भाषा का पाठ जो पढ़े लगा कर मन

बुरे स्वप्न ग्रह दशा से दूँगी उसे बचा
पढ़ेगा दुर्गा पाठ जो श्रधा प्रेम बढ़ा

भुत प्रेत पिशाचिनी उसके निकट ना आये
अपने द्रढ़ विश्वास से पाठ जो मेरा गाए

निर्जन वन सिंह व्याघ से जान बचाऊ आन
राज्य आज्ञा से भी ना होने दू नुक्सान

भवर से भी बाहर करू लम्बी भुजा पसार
'चमन' जो दुर्गा पाठ पढ़ करेगा प्रेम पुकार

संसारी विपत्तिय देती हु मै टाल
जिसको दुर्गा पाठ का रहता सदा ख्याल

मै ही रिद्धि -सीधी हु महाकाली विकराल
मै ही भगवती चंडिका शक्ति शिवा विशाल

भैरो हनुमत मुख्य गण है मेरे बलवान
दुर्गा पाठी पे सदा करते क्रपा महान

इतना कह कर देवी तो हो गई अंतरध्यान
सभी देवता प्रेम से करने लगे गुणगान

पूजन करे भवानी का मुह माँगा फल पाए
'चमन' जो दुर्गा पाठ को नित श्रधा से गाए

वरदाती का हर समय खुला रहे भंडार
इच्छित फल पाए 'चमन' जो भी करे पुकार

इक्कीस दिन इस पाठ को कर ले नियम बनाये
हो विश्वास अटल तो वाकया सिद्ध हो जाये

पन्द्रह दिन इस पाठ में लग जाये जो ध्यान
आने वाली बात को आप ही जाए जान

नौ दिन श्रधा से करे नव दुर्गा का पाठ
नवनिधि सुख सम्पति रहे वो शाही ठाठ

सात दिनों के पाठ से बलबुद्धि बढ़ जाये
तीन दिनों का पाठ ही सारे पाप मिटाए

मंगल के दिन माता के मन्दिर करे ध्यान
'चमन' जैसी मन भावना वैसा हो कल्याण

शुद्धि और सच्चाई हो मन में कपट ना आये
तज कर सभी अभिमान न किसी का मन कलपाये

सब का कल्याण जो मांगेगा दिन रैन
काल कर्म को परख कर करे कष्ट को सहन

रखे दर्शन के लिए निस दिन प्यासे नैन
भाग्यशाली इस पाठ से पाए सच्चा चैन

द्वादश यह अध्याय है मुक्ति का दातार
'चमन' जीव हो निडर उतरे भव से पार

बोलो जय माता दी
जय मेरी माँ वैष्णो रानी की
जय मेरी माँ राज रानी की
जय जय माँ , मेरी भोली माँ
जय जय माँ, मेरी प्यारी माँ.
संजय मेहता, लुधियाना







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