सोमवार, 7 मई 2012

मेरी दुःख की कहानी माँ रो - रो के सुनाऊंगा: Meri Dukh Ki Kahaani Maa Ro Ro Ke Sunaunga By Sanjay Mehta Ludhiana








तेरे द्वार मै आऊंगा, तेरे दर्शन पाऊंगा
मेरी दुःख की कहानी माँ , रो - रो के सुनाऊंगा.


माँ इस दुखियारे को , चरणों में जगह देना
दुखो की हवा ना लगे, दामन में छुपा लेना
तेरी इस रहमत को माँ हरगिज ना भूलूंगा.
तेरे द्वार मै आऊंगा, तेरे दर्शन पाऊंगा

जब जब भी जन्म लू मै, तुमसे हो यही नाता
रहे हाथ तेरा सिर पे, तुम्ही हो पिता-माता
तेरी गोद में जग जननी , जन्नत मै बसाऊंगा
तेरे द्वार मै आऊंगा, तेरे दर्शन पाऊंगा

दुनिया के झमेलों से, ऐसा मै हु घबराया
तुम तो ना भुला देना, दुनिया ने है ठुकराया
कब तक बिना दर्शन के, जीवन मै बिताऊंगा
तेरे द्वार मै आऊंगा, तेरे दर्शन पाऊंगा

माँ तेरे ही नगमो की , लहरों में रहू बहता
लिख लिख के तेरी महिमा, दुनिया से रहू कहता
शीतल तेरी ज्योति को, मन में मै बसाऊंगा.
तेरे द्वार मै आऊंगा, तेरे दर्शन पाऊंगा








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