बुधवार, 12 जनवरी 2011

ना चिठ्ठी आई , ना आया बुलावा

ना चिठ्ठी आई , ना आया बुलावा
अंदर से खडकी है ताल , मै जाउंगी मैया के द्वार
मुझे जाना है माता के द्वार
ना चिठ्ठी आई , ना आया बुलावा
पाँव मे चाहे पड़ जाये छाले , कर दूंगी जीवन उसके हवाले
दर्शन के मन मे लागी लगन है,
चिंतन मे हर सांस अब तो मगन है
मे ना रुकुंगी एक पल, धुन है यह मुझ पर सवार
मोहे जाना है मैया के द्वार मे जाउंगी माता के द्वार
ना चिठ्ठी आई , ना आया बुलावा
शरदा सुमुन मे अर्पण करुँगी
भगति का सचा धन मांग लुंगी
पूजा मे उसकी खो जाउंगी मै
जाकर दर की हो जाउंगी मै
जन्मो की अब तो प्यास बुझेगी
सपने होंगे साकार
मोहे जाना है मैया के द्वार
मे आउंगी माता के द्वार
ना चिठ्ठी आई , ना आया बुलावा
माथे लगाऊ चरणों की धुली,
उसके बिना भूले दुनिया ये पूरी
मिल जाये माँ तो जग से क्या लेना
बच्चे जो मांगे माँ ने ही देना
मेरे भी मन की वो ही सब जाने
सुनती जो सबकी पुकार
मोहे जाना है मैया के द्वार मे जाउंगी माता के द्वार
ना चिठ्ठी आई , ना आया बुलावा
Sanjay Mehta

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