मंगलवार, 26 जून 2012

नामदेव जी : Namdev ji by sanjay mehta ludhiana









नामदेव जी महाराष्ट्र के महान संत थे , परन्तु इनके मन में सूक्ष्म अभिमान घर कर गया था कि भगवान मेरे साथ बाते करते है, ये बिंठोबाजी के साथ बाते करते थे, एक बार ऐसा हुआ कि महाराष्ट्र में संतमण्डली एकत्रित हुए तब मुक्ताबाई ने गोरा कुम्हार से कहा - इन संतो कि परीक्षा करो, इनमे पक्का कौन है ? और कच्चा कौन है

गौर कुम्हार ने सभी के मस्तक पर ठीकरा मारकर परीक्षा करने का निश्च्च्य किया, किसी भक्त ने मुह नहीं बिगाड़ा. परन्तु नामदेव के माथे पर ठीकरा मारा गया तो नामदेव जी ने मुह बिगाड़ा. उनको अभिमान हुआ कि कुम्हार द्वारा घड़े कि परीक्षा किये जाने कि रीति से क्या मेरी परीक्षा होगी?

गोरा काका ने नामदेव जी से कहा - सबका माथा पक्का है, एक तुम्हारा माथा कच्चा है. तुम्हारा माथा पक्का नहीं, तुमको गुरु कि आवश्यकता है. तुमने अभी तक व्यापक ब्रह्म का अनुभव नहीं किया
नामदेव जी ने बिंठोबाजी से फरियाद कि, बिंठोबाजी ने कहा कि गोराभक्त जो कहते है वह सच है, तुम्हारा मस्तक कच्चा है, मंगलबेडा में मेरा एक भक्त बिसोबा ख्नचर है, उसके पास तू जा , वह तुझे ज्ञान देंगे. नामदेव जी बिसोबा खेंचर के पास गये, उस समय बिसोबा शिवजी के मंदिर में थे. नामदेव महादेव जी के मंदिर में गये. वहा जाकर देखा कि बिसोबा खेंचर शिवलिंग के उपर पैर रखकर सों रहे थे. बिसोबा को मालूम हो गया था के नामदेव जी आ रहे है, इसलिए उनके ज्ञान-चक्षु खोलने के लिए उन्हों ऐसा काम किया था.

नामदेव जी नाराज हुए, उन्हों ने बिसोबा को शिवलिंग के उपर अपना पैर हटाने को कहा, बिसोबा ने कहा - तू ही मेरा पैर शिवलिंग के उपर से उठाकर किसी ऐसे स्थान पर रख, जहा शिवजी ना हो. नामदेव जहा बिसोबा का पैर रखने लगे वही -वही शिवजी प्रगट होने लगे. समस्त मंदिर शिवलिंगों से भर गया.

नामदेव को आश्चर्य हुआ . तब बिसोबा जी ने कहा - गोराकाका ने कहा था कि तेरी हांडी कच्ची है वह ठीक है, तुम्हे हर जगह इश्वर दीखते नहीं, बिठोबा सर्वत्र विराजे हुए है, तू सबमे इश्वर को देख

भक्ति को ज्ञान के साथ भजो. नामदेव जी को सबमे विठोबाजी दिखने लगे. नामदेव जी वहा से वापिस आकर मार्ग में एक वृक्ष के नीचे खाने बैठे. वहा एक कुत्ता आया और रोटी उठाकर ले जाने लगा. अब तो नामदेव जी को कुत्ते में भी बिट्ठल दीखते, रोटी रुखी थी, नामदेव जी घी कि कटोरी लेकर कुत्ते के पीछे दौड़े , पुकारकर कहने लगे - बिट्ठल जी खड़े रहो, रोटी सुखी है, घी चुपड़ दू नामदेव जी को अब सच्चा ज्ञान प्राप्त हो चूका था. नामदेव जी जैसे संत को भी ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरु बनाना पड़ा.
www.facebook.com/jaimatadigldh
www.facebook.com/groups/jaimatadig

Sanjay Mehta







कोई टिप्पणी नहीं: