शनिवार, 21 अप्रैल 2012

द्वार पे बैठा राह निहारु, थक गए मेरे नैना : Dwar pe baitha raah Niharu.. By Sanjay Mehta Ludhiana


द्वार पे बैठा राह निहारु, थक गए मेरे नैना
आओ श्याम मेरे अंगना. आओ ना
आ जाओ , श्याम मेरे अंगना
राह में तेरी पलके बिछाई , सेज फूलो की मैंने सजाई -२
अब तो आजाओ मेरे कन्हैया , कही हो ना मेरी रुसवाई
जय हो जय हो
तू जो आये तो खिल जाए, मन की मेरी बगिया
आओ श्याम मेरे अंगना. आओ ना

मेरी आँखों का बस यही सपना, एक तू श्याम हो मेरा अपना -२
आज का प्रेम अपना नहीं है, कई जन्मो का बंधन है अपना
जय हो जय हो
जग से रिश्ता टूटे, तुझ से रिश्ता टूटे अब ना
आओ श्याम मेरे अंगना. आओ ना

तुझे भगतो ने जब भी पुकारा, तुने सब को दिया है सहारा
नाव मझधार में मेरी डोले, उस को तू ही दिखाए किनारा
जय हो जय हो
बन के खिवैया आजा मोहन, कोई मेरे संग ना
आओ श्याम मेरे अंगना. आओ ना

सब की बिगड़ी बनाने वाले , बात मेरी बनाये तो मानु
मै तो भटका हुआ एक मुसाफिर, राह मुझ को दिखाए तो जानू
जय हो जय हो
सुन ले संजय मेहता की इतनी विनती, चरण कमल में रखना
आओ श्याम मेरे अंगना. आओ ना

द्वार पे बैठा रह निहारु, थक गए मेरे नैना
आओ श्याम मेरे अंगना. आओ ना
आ जाओ , श्याम मेरे अंगना

कोई टिप्पणी नहीं: