मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

देव तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते है: Dev tumhare kai upasak By Sanjay Mehta Ludhiana


देव तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते है
सेवा में बहुमूल्य वस्तुए लाकर तुम्हे चढाते है
धूमधाम और साज वाज से वो मंदिर में आते है
मुक्त मणि बहुमूल्य वस्तुए लाकर तुम्हे चढाते है
मै ही गरीब एक ऐसा आया जो कुछ साथ नहीं लाया
पूजा की विधि नहीं जानता फिर भी नाथ चला आया
धुप , दीप, नैवध्य नहीं है झांकी व् श्रंगार नहीं
हाय गले में पहनाने को फूलो का भी हार नहीं
नहीं दान है नहीं दक्षिण , खाली हाथ चला आया
फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने का आया
पूजा और पुजापा प्रभुवर इसी पुजारी को समझाओ
जो कुछ है बस यही पास है इसे चढाने आया हु
मै उन्मत प्रेम का प्यासा ह्रदय दिखाने आया हु
चरणों में अर्पित है, प्रभुवर चाहो तो स्वीकार करो
दास तो 'बालाजी' का ही है ठुकरा दो या प्यार करो

जय श्री बाला जी महाराज की जय
जय श्री राम जी की
जय माता दी जी

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