शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

सुन भगत सुदामा : Sun Bhagt Sudama: Sanjay Mehta Ludhiana









सुन भगत सुदामा से रो - रो कह रही नारी
तुम जाओ द्वारिका जी दुःख हर ले कृष्ण मुरारी

इसी किस्मत मेरी खोटी
कभी ना खाई सुख की रोटी
मै रो रो मरती जी
पैसे बिन बड़ी लाचारी सुन भगत...

बच्चे फिरते तन से नंगे
जैसे फिरते हो भिखमंगे
मै कुड कुड मरती जी
चुप रहू शर्म की मारी सुन भगत...

होली बीती आई दिवाली
घर मे बज राझी खली थाली
मै सह नहीं सकती जी
बच्चो की हा हाकारी सुन भगत....

कहे सुदामा सुन मेरी प्यारी
बात तो है तेरी सच्ची साड़ी
पर मै नहीं जाऊ री
मेरे मित्र है गिरधारी सुन भगत...

क्या कुछ तोहफा लेकर जाऊ
कैसे उनको मुख दिखलाऊ
वहां पुलिस पकड़ लेगी
कर देगी मेरी ख्वारी सुन भगत...

बहु मांगकर चावल लाई
फटे चिर मे गाँठ लगाई
चल दिए सुदामा जी
जहा बसते है त्रिपुरारी सुन भगत...






कोई टिप्पणी नहीं: