मंगलवार, 13 सितंबर 2011

तेरे कहाँ लगो है बाण, बता दे लक्ष्मण भईया




तेरे कहाँ लगो है बाण, बता दे लक्ष्मण भईया
बता दे लक्ष्मण भईया, बता दे छोटे भईया..
अरे तेरे कहाँ लगो है बाण..


मेघनाथ ने बाण चलाया, तेरे सीने बीच समाया..
मूर्छित पड़ा धरिन मे आन ,बता दे लक्ष्मण भईया
तू साथ देने को आया, रस्ते मे प्राण गवाया..
अब मे किस विधि राखु प्राण बता दे लक्ष्मण भईया..
अरे तेरे कहाँ लगो है बाण..


घर कैसे लौट के जाऊ, माता को क्या बतलाऊ..
अब मेरी अक्ल बड़ी हैरान, बता दे लक्ष्मण भईया..
तुम द्रोनिगिरी को जइयो.. हनुमान संजीवन लइयो
उगने पावे नहीं भानु आज, बता दे लक्ष्मण भईया..
अरे तेरे कहाँ लगो है बाण..

हनुमान ना अब तक आये.. जाने बूटी दूंड ना पाए
अब मेरी आफत मे है जान, बता दे लक्ष्मण भईया..
जब बूटी दूंड ना पाए, तब पर्वत लाये उठाये
पौह्चे रामदल मे आप, बता दे लक्ष्मण भईया..
अब बूटी छान बनाई. सेवक ने घोट पिलाई..
मिल रहे दोनों भई, मिल रहे हर्षाये बता दे ..
अरे तेरे कहाँ लगो है बाण..

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