श्री शिव और श्री राम
पद्मपुराण(उत्तर खंड, अध्याय ७२ , श्लोक ३३५ में यह कथा आती है )
एक दिन पार्वती जी ने महादेव जी से पूछा "आप हरदम क्या जपते रहते है?"
उत्तर में महादेव जी ने विष्णु सहस्त्रनाम कह सुनाये
अंत में पार्वती जी ने कहा -"ये तो एक हजार नाम आपने कहे है, इतना जपना तो सामान्य मनुष्य के लिए असंभव है, कोई एक नाम कहिये जो सहस्त्रो नामो के बराबर हो और उनके स्थान में जपा जाये"
इस पर महादेव जी ने कहा
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने
फिर इसी पुराण के उत्तर खंड , अध्याय २७० श्लोक ४० में शिवजी श्रीराम जी से कहते है.
मरने के समय मनिकर्णिका घाट पर गंगा जी में जिस मनुष्य का शरीर गंगाजल में पड़ा रहता है, उसको मै आपका तारक-मन्त्र देता हु, जिससे वह ब्रह्म में लीन हो जाता है
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