जिसको परमात्मा का अनुभव हुआ है, उसके जीवन में संतोष और शान्ति होती है, लक्ष्मी मिलने के बाद संतोष नहीं होता, भले पीछे लाख मिले या करोड़ मिले. लक्ष्मीपति जिसको मिलते है, उसको शान्ति होती है, प्रभु का सतत ध्यान किये बिना लक्ष्मीपति नहीं मिलते . सतत ध्यान तब हो सके जब लक्ष्मी का मोह छूटे. प्रभु जो सतत ध्यान करते है वे अधिकांश भाग में गरीब ही रहते है. समस्त दिन ध्यान करे वह लक्ष्मी जी को ठीक नहीं लगता, सतत भक्ति करने से लक्ष्मी जी को ऐसा लगता है की यह मुझे नारायण के साथ एकांत में पांच मिनट भी बात नहीं करने देता. लक्ष्मी जी नाराज होकर उसका त्याग कर देती है, सम्पूर्ण दिवस भक्ति करे उसे लक्ष्मीपति मिलते है, लक्ष्मी जी नहीं मिलती, ऐसे भक्तो को लक्ष्मी की आवश्यकता भी नहीं.
बोलो लक्ष्मी नारायण की जय .
बोलो राज रानी की जय. बोलो माँ वैष्णो देवी की जय
www.facebook.com/groups/jaimatadig
www.facebook.com/jaimatadigldh
Sanjay Mehta
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें